script

सिद्धांतों पर वार: आजाद विचार के लिए कुर्बानी का सिलसिला

Published: Sep 07, 2017 06:39:00 am

Submitted by:

Chandra Prakash

पहली बार नहीं जब हमारे देश में किसी एक्टविस्ट,लेखक या पत्रकार की आवाज शांत करने के लिए हत्या कर दी गई है। इससे पहले भी ऐसे जघन्य हत्याकांड हुए हैं

Gauri Lankesh
नई दिल्ली। वरिष्ठ पत्रकार व एक्टिविस्ट गौरी लंकेश की मंगलवार को बेंगलूरु स्थित उनके आवास पर गोली मारकर हत्या कर दी गई। तेजतर्रार पत्रकार गौरी लंकेश साप्ताहिक अखबार लंकेश पत्रिका की संपादक थीं। यह पहली बार नहीं जब हमारे देश में किसी एक्टविस्ट, लेखक या पत्रकार की आवाज शांत करने के लिए हिंसा का सहारा लिया गया हो, इससे पहले लगातार ऐसे जघन्य हत्याकांड होते रहे हैं।
Dabholkar
नरेंद्र अच्युत दाभोलकर
कथित बाबाओं और तांत्रिकों के खिलाफ आवाज उठाई पेशे से डॉक्टर और जाने-माने तर्कशास्त्री व लेखक नरेंद्र अच्युत दाभोलकर की पुणे में 20 अगस्त, 2013 को सुबह की सैर की दौरान ही दो हमलावरों ने करीब से गोली मारकर हत्या कर दी। दोनों हमलावर बाइक से आए थे। दाभोलकर महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक थे। वे लगातार धर्म व जाति के नाम पर समाज में फैली कुरीतियों व अंधविश्वास के खिलाफ सक्रिय थे। उनकी हत्या के बाद महाराष्ट्र सरकार ने 18 सालों से लटके पड़े अंधविश्वास व कालाजादू विरोधी अध्यादेश को पारित कर दिय।

सीबीआई कर रही जांच, आरोपी पकड़ से बाहर
दाभोलकर की हत्या की जांच के लिए एक्टिविस्ट केतन तिरोडकर की जनहित याचिका पर 9 मई, 2014 को बंबई हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए। सीबीआई ने सारंग अकोलकर और विनय पवार नाम के दो लोगों को हत्या का आरोपी बनाया, दोनों पकड़ से बाहर से हैं। 5-5 लाख का इनाम।2014 में उन्हें मरणोपरांत सामाजिक कार्य के लिए पद्मश्री पुरस्कार दिया गया।
Govind Pansare
गोविंद पंसारे
पनसारे गलत परंपराएं खत्म करने की कोशिश कर रहे थे और अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देने वाला एक संगठन चलाते थे। विचारक गोविंद पंसारे की 16 फरवरी, 2015 को गोली मार दी गई। 20 फरवरी को उनकी मौत गई। हमले के दौरान उनकी पत्नी उमा साथ थी। गोविंद भी सुबह की सैर कर लौट रहे थे। इस बार भी दो मोटरसाइकिल हमलावरों ने हमला किया। दोनों उनके घर के सामने इंतजार कर रहे थे। उन्होंने पुत्रकामेष्ठी यज्ञ जैसी बालिका विरोधी हिन्दू परपंराओं का तीखा विरोध किया। उन्होंने महात्म गांधी के हत्यारे नाथुराम गोडसे का महिमा मंडन के खिलाफ आवाज उठाई। पनसारे ने कुल 21 पुस्तकें लिखी थीं। इनमें से ज्यादातर सामाजिक बुराइयों के खिलाफ थीं। ‘कौन होता है शिवाजीÓ उनकी सबसे चर्चित पुस्तक है। इसमें उन्होंने बताया कि कैसे शिवाजी एक धर्मनिरपेक्ष राजा थे, जिन्होंने सेना में मुस्लिम सेनापतियों की नियुक्तिकी।

6 गिरफ्तार, मुख्य आरोपी जमानत पर
काफी उठापटक के बाद 16 सितंबर, 2015 को महाराष्ट्र पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज व फोन टैपिंग के जरिए सांगली से सनातन संस्था के 32 वर्षीय समीर गायकवाड़ को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया। जून में उसे जमानत मिल गई।उसकी निशानदेही पर एक महिला समेत पांच अन्य लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
 MM Kalabugri
एमएम कलबुर्गी
लिंगायत राजा पर शोध के कारण थे निशाने परदाभोलकर की हत्या के ठीक दस दिनों बाद 30 अगस्त, 2013 को कुलबुर्गी की भी दो मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी। कलबुर्गी हम्पी स्थित कन्नड़ यूनिवर्सिटी के वीसी भी रहे थे। पुरालेखवेत्ता होने के नाते कलबुर्गी ने अपनी पुस्तक ‘मार्ग 1Ó में दक्षिण भारत में शक्तिशाली हिन्दू शैव परंपरा लिंगायत या वीरशैव के संस्थापक भासवेश्वर, उनकी पत्नी नीलम्बिके व बहन नागलाम्बिके के बारे में शोध प्रकाशित किया। इसे लिंगायत समुदाय ने अपमानजनक माना था।

4 साल बाद हत्यारों के सिर्फ स्केच जारी
इस हत्याकांड का कोई चश्मदीद गवाह नहीं था। सीसीटीवी फुटेज में काले कपड़े पहने दो युवा दिखाई दिए। सीबीआई को जांच सौंपने का फैसला हुआ, लेकिन इसकी औपचारिकताएं पूरी होने से पहले ही कर्नाटक पुलिस ने सीआईडी से जांच की घोषणा कर दी। अब तक सिफर्हमलावरों की स्कैच जारी किए गए हैं।

1938 में जन्मे लेखक, शिक्षक व एक्टिविस्ट एमएम कलबुर्गी कन्नड़ के सबसे चर्चित पुरालेखवेत्ता थे।

लिंगाना सत्यमपते
एक स्थानीय साप्ताहिक अखबार के संपादक लिंगाना सत्यपते कलबुर्गी के समर्थक थे। उनका अखबार लगातार धार्मिक अतिवाद के खिलाफ कलबुर्गी के लेख छापता था। कलबुर्गी की हत्या से लगभग एक वर्ष पूर्व 26 जुलाई, 2012 को कर्नाटक के गुलबर्गा गांव के नाले में उनका नग्न शरीर मिला। सत्यमपते भी लिगांयत समुदाय में जारी कथित कट्टर विचारों का विरोध करते थे।
Gauri Lankesh
2016 में दुनियाभर में 200 हत्याएं
दुनियाभर में पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाले 200 एक्टिविस्टों की हत्या कर दी गई। जबकि वर्ष 2015 में ऐसी 185 हत्याएं की गईं।


भारत में तीन गुना बढ़ी हत्याएं
भारत में खनन परियोजनाओं का विरोध करने वाले 16 लोगों की हत्या हुई। इनमें से ज्यादातर एक्टिविस्ट थे। यह संख्या 2015 के मुकाबले तीन गुना ज्यादा है।

60% हत्याएं अकेले लैटिन अमरीका में। इनमें पुलिस ज्यादती और फर्जी एनकाउंटर भी
पर्यावरण व प्राकृतिक संसाधनों के लिए लडऩे वाले गंवा रहे जान। प्राकृतिक संसाधनों की मांग, भ्रष्टाचार, पर्यावरण संरक्षण व सशस्त्र संघर्ष के बीच संबंधों को उजागर करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ग्लोबल विटनेस की ताजा रिपोर्ट के अनुसार एक्टिविस्टों की हत्याओं की मामले तेजी से बढ़े हैं।

ट्रेंडिंग वीडियो