scriptGOOGLE आर्टिफिशल इंटेलीजेंस से बताएगा शुगर है या नहीं | Google to Use Artificial Intelligence to detect sugar and help prevent blindness | Patrika News

GOOGLE आर्टिफिशल इंटेलीजेंस से बताएगा शुगर है या नहीं

Published: Dec 01, 2016 01:12:00 pm

गूगल और ब्रिटेन सरकार तकनीक पर काम कर रहे। अंधेपन या आंखों की अन्य बीमारियां भी डिटेक्ट होंगी।

google detects sugar

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लंदन. दुनियाभर में करोड़ों लोग रोजाना उंगली के खून से शुगर की जांच करते हैं। जांच के इस तरीके में दर्द होता है। गूगल ऐसी तकनीक विकसित कर रहा है जो शुगर का लेवल बताएगी। इससे आंखों पर असर डालने वाली शुगर व आंखों की बीमारियां भी डिटेक्ट हो पाएंगी। बिना किसी डॉक्टर के आर्टिफिकेशल इंटेलीजेंस तकनीक से ऐसा संभव होगा।

दरअसल इस तकनीक से डायबिटिक रेटिनोपैथी (डीआर) डिटेक्ट की जा सकेगी। यह शुगर की ऐसी बीमारी है जिससे आंखों की पुतलियां लाल हो जाती हैं। इससे आंखों की रोशनी भी कम होती है। अंधेपन का खतरा बना रहता है। गूगल इस बाबत काम कर रहा है। इस तकनीक में थ्रीडी इमेजस का इस्तेमाल होगा। इसके लिए गूगल ने यूके सरकार के साथ करार किया है। इसमें डीपमाइंड संस्थान भी काम कर रही है। गूगल ने बाकायदा क्लीनिक तैयार की है। बता दें कि डीप माइंड संस्था ने स्मार्ट कॉन्टेक्ट भी तैयार किए हैं। इन्हें पहन डायबिटिक रेटिनोपैथी को डिटेक्ट करने में भी मदद मिलेगी।

क्या है आर्टिफिकेशल इंटेलीजेंस

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एक सिस्टम या तकनीक है। यह काफी समझदार होता है। इसमें इंसानों की तरह ही सीखने की काबिलियत होती है। साधारण शब्दों में कहें तो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस कंप्यूटर साइंस का एक ब्रांच है जिसका इस्तेमाल बतौर इंटेलीजेंट मशीन किया जाता है। मशीन ऐसी बन जाती है कि वो इंसानों की तरह काम और रिएक्ट करने लगती है। शुगर जांचने की प्रक्रिया में इस तकनीक का ही इस्तेमाल होगा। ऐसे लोगों को डॉक्टर की जरूरत नहीं होगी। सिस्टम बताएगा कि आप आंखों की बीमारी के शिकार हैं या नहीं।

आंकड़े

– 2.3 करोड़ लोग दुनियाभर में डायबिटिक रेटिनोपैथी (डीआर) के शिकार
– 48 फीसदी की आंखों की रोशन चली जाती हैं हर साल इस बीमारी से

– 2030 तक छह करोड़ लोग डायबिटिक रेटिनोपैथी की जद में आ सकते हैं
– 30 फीसदी बीमारी में कमी लाने का लक्ष्य
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