समाज के लिए हमेशा उठाई है आवाज
महाश्वेता देवी का नाम आधुनिक भारत के महान लेखकों में शुमार है। उन्होंने समाज के हित के लिए काफी पहल की थी। महाश्वेता देवी ने आदिवासी और ग्रामीण लोगों को उनका हक दिलाने के लिए कई बार आवाज उठाई है।
उनके कई मशहूर उपन्यासों पर बन चुकी हैं फिल्में
करीब 100 उपन्यास लिखने वाली इस लेखिका का जन्म बांग्लादेश के ढाका में 1926 में हुआ था। उनके द्वारा लिखी गई पहली उपन्यास की कहानी झांसी की रानी लक्ष्मी बाई के जीवन पर आधारित थी। यह उपन्यास 1956 में प्रकाशित की गई थी। इसके अलावा उन्होंने कई मशहूर उपन्यास लिखे हैं जिनमें ‘हज़ार चौरासी की माँ’, ‘अरण्येर अधिकार’, ‘अग्निगर्भ’, ‘रुदाली’, ‘संघर्ष’ जैसे उपन्यास शामिल हैं। महाश्वेता देवी के कई उपन्यासों जैसे रुदाली, संघर्ष आदि पर फिल्में भी बन चुकी हैं।
माता-पिता भी इसी क्षेत्र से जुड़े
लेखन की यह कला उन्हें अपने माता-पिता से ही विरासत में मिली थी, दरअसल उनके माता-पिता भी महान लेखक थे। उनके पिता मनीष घटक कल्लोल आंदोलन के उपन्यासकार और एक महान कवि थे और उनकी मां भी एक लेखिका थीं, जो समाजसेवा भी करती थीं।
कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों का मिला सम्मान
इस महान लेखिका की हार्ट अटैक के कारण 28 जुलाई 2016 को मृत्यु हो गई। उनकी मौत पर कई राजनेताओं समेत पूरे देश ने शोक प्रकट किया था। महाश्वेता देवी को उनके महान रचनाओं और सामाजिक कार्यों के लिए पद्मश्री, साहित्य अकेडमी अवॉर्ड, रैमन मैगसेसे अवॉर्ड, पद्मविभूषण जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।