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गोरखपुर घटना में डॉक्टर्स पर कार्रवाई के विरोध में उतरी मेडिकल एसोसिएशन

आईएमए का कहना है कि इस प्रकरण में राज्य के स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारीभी तय होनी चाहिए।

Aug 14, 2017 / 03:46 pm

Mohit sharma

IMA

नई दिल्ली। यूपी के गोरखपुर स्थित बीआरडी मेडिकल कॉलेज में लापरवाही के कारण हुई 30 से अधिक बच्चों की मौत के बाद कॉलेज के प्रिंसिपल को हटाए जाने का इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने विरोध किया है। आईएमए का कहना है कि इस प्रकरण में राज्य के स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी भी तय होनी चाहिए। बता दें कि बीते दिनों मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की सप्लाई बंद होने के कारण एक दिन में 30 से भी अधिक बच्चों के मौत हो गई थी। हालांकि बच्चों की मौत का आंकड़ा रविवार तक और बढ़ गया है।

प्रदेश सरकार की कार्रवाई को ठहराया गलत

दरअसल, घटना के बाद मामले में कार्रवाई करते हुए सीएम आदित्यनाथ योगी ने मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. राजीव मिश्रा को निलंबित कर दिया है। प्रदेश सरकार के इस फैसले को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने गलत ठहराया है। आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल का कहना है कि मामले को लेकर रविवार को एसोसिएशन की बैठक हुई जिसमें में तीन रेजोल्यूशन पास हुए हैं और सरकार को भेजे गए हैं। उन्होंने कहा कि पहली बात ये कि जिस तरह प्रिंसिपल को पूरे मामल के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कार्रवाई की गई है वह पूरी तरह से गलत है। अगर प्रिंसिपल को जिम्मेदार माना जा रहा है तो राज्य के स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।

आईएमए ने लिए तीन रेजोल्यूशन

वहीं हॉस्पिटल में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी के भुगतान का भुगतान रोके जाने पर भी आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि किसी संस्था का पैसा नहीं रोका जाना चाहिए। इसके लिए अस्पतालों में एडवांस में ही सारी सुविधाएं व व्यवस्थाएं दुरुस्त रखी जाएं खासकर जीवन रक्षक उपकरण और लाइफ सेविंग डिवाइस पर तो विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। तीसरे रेजोल्यूशन के बारे उन्होंने बताया कि उन्होंने बताया कि एसोसिएशन ने जो तीसरा रेजोल्यूशन पास किया है ऐसी घटनाओं में 72 घंटों के अंदर जांच करके कारण पता किए जाने चाहिए, ताकि आगे होने वाली मौतों पर रोक लगाई जा सके। सरकारी डॉक्टरों के निजी प्रैक्टिस करने के मुद्दे पर उन्होंने कहा इससे किसी की मौत नहीं होती लेकिन अगर कोई दोषी है और गैर कानूनी काम कर रहा है तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए।

एम्स के डॉक्टर्स ने भी जताया विरोध

उधर, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टर्स ने भी इस घटना को लेकर प्रदेश सरकार की कार्रवाई पर विरोध जताया है। एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स की एसोसिएशन के प्रमुख डॉ. हरजीत सिंह भट्टी ने कहा है कि डॉक्टर्स को बिना बात ही बलि का बकरा बनाया जा रहा है। एसोसिएशन ने इस संबंध में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कैफेल खान की बर्खास्तगी की निंदा करते हुए सरकार को एक पत्र लिखा है, जिसमें राज्य सरकार पर सार्वजनिक स्वास्थ्य की भारी उपेक्षा पर आरोप लगाया गया है। बच्चों की मौत के लिए डॉक्टरों को दोष देने की बात पर एसोसिएशन ने कहा कि राजनेता अपनी अक्षमता को छिपा रहे हैं।

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