वर्तमान में कम्पनियों को 12 सप्ताह का मातृत्व अवकाश देना होता है। कई नियोक्ता और अधिक मातृत्व अवकाश समेत अन्य सुविधाएं भी देते हैं। प्राइवेट कंपनियों में कहीं पर पांच महीने जबकि कहीं पर छह महीने का मातृत्व अवकाश दिया जाता है। एक अधिकारी ने बताया कि, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय श्रम विभाग के साथ मिलकर इस ओर गंभीरता से कदम बढ़ा रहा है। महिला विकास से जुड़ा मामला होने के चलते हम एक प्रस्ताव बना रहे हैं और कर्मचारियों व मजदूर संगठनों से बात करेंगे।
एक अन्य विकल्प तैयार किया जा रहा है जिसके तहत मातृत्व अवकाश को दो बच्चों तक ही सीमित करने का प्रस्ताव है। इसके तहत तीसरे बच्चा होने पर वर्तमान नियमों के अनुसार ही छुट्टी जाएगी। वहीं ग्रेच्युटी कानून में भी बदलाव की तैयारी है और इसके तहत एक ही संस्थान में पांच साल काम करने की बाध्यता को समाप्त किया जा सकता है। वर्तमान में ग्रेच्युटी का लाभ लेने के लिए एक ही संस्थान में कम से कम पांच साल काम करने का अनिवार्यता है।
वहीं बोनस नियमों में वर्तमान में 10 हजार रूपये की सैलरी वाले कर्मचारियों को उनकी सालाना सैलरी पर कम से कम 8.33 प्रतिशत और अधिकतम 20 फीसदी बोनस दिया जाता है। इन नियमों में अंतिम बार 10 साल पहले बदलाव किया गया था। 10 हजार रूपये को केवल योग्यता के लिए ही काम में लिया जाता है जबकि वास्तविक बोनस भुगतान अलग गणना सीमा से होती है। इसके तहत 3500 रूपये प्रति महीने से ज्यादा की सैलरी वाले कर्मचारियों की तनख्वाह 3500 रूपये मानी जाती है और इसी आधार पर बोनस तय होता है।