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भूमि अधिग्रहण अध्यादेश फिर से जारी करेगी सरकार

Published: May 30, 2015 02:10:00 pm

मंत्रिमंडल के इस निर्णय को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा और इसके बाद नया अध्यादेश जारी होगा

Land Ordinance

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नई दिल्ली। सरकार ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश फिर से जारी करने का फैसला लिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में शनिवार को हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया।मौजूदा अध्यादेश की अवधि 3 जून को समाप्त हो रही है। मंत्रिमंडल के इस निर्णय को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा और इसके बाद नया अध्यादेश जारी होगा।

संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बैठक के बाद संवाददताओं को बताया कि भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक अभी संसद की संयुक्त समिति के पास है और इसके संसद में पारित होने तक निरंतरता बनाए रखने के लिए अध्यादेश पुन: जारी करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि यह इसलिए भी जरूरी है ताकि किसानों को मुआवजा मिलने में कोई दिक्कत न हो।

उल्लेखनीय है कि 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन कर मोदी सरकार ने गत दिसम्बर में अध्यादेश जारी किया था। इससे संबंधित भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक संसद के बजट सत्र के पहले चरण में लोकसभा में 9 संशोधनों के साथ पारित कराया गया था, लेकिन विपक्ष के भारी विरोध के कारण सरकार ने इसे राज्यसभा में पेश नहीं किया था। किसी भी अध्यादेश को संसद का सत्र शुरू होने के छह सप्ताह के भीतर पारित कराना जरूरी होता है। ऎसा न होने की स्थिति में यह स्वत: निरस्त माना जाता है।

इसके मद्देनजर भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को बजट सत्र के अवकाश के दौरान राज्यसभा का सत्रावसान कर गत अप्रेल में पुन: जारी किया गया था। बजट सत्र के दूसरे चरण में अध्यादेश का स्थान लेने के लिए भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक फिर से लोकसभा में पेश किया गया, लेकिन विपक्ष के विरोध को देखते हुए इसे संसद की संयुक्त समिति को सौंप दिया गया।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एस एस अहलुवालिया की अध्यक्षता में गठित इस समिति में लोकसभा के 20 तथा राज्यसभा के 10 सदस्य हैं। दूसरी बार जारी किए गए अध्यादेश की अवधि आगामी 3 जून को समाप्त हो रही है, इसलिए सरकार ने इसे फिर से जारी करने का निर्णय लिया है। इस विधेयक का कांग्रेस समेत लगभग सभी विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं।

उनका कहना है कि यह पूरी तरह किसान विरोधी है। कांग्रेस 2013 के कानून में किसी तरह का संशोधन करने के खिलाफ है। दूसरी ओर सरकार का कहना है कि देश में विकास की गति तेज करने के लिए इस कानून में बदलाव करना जरूरी था। उसका कहना है कि जो संशोधन सरकार लाई है वे किसी भी तरह से किसानों के खिलाफ नहीं है बल्कि उनके ज्यादा हित में है।
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