भारत में अलग-अलग कंपनियों की ओर से बनाए जा रहे टायरों में कौन-सा सबसे अच्छा और मानक के अनुसार है इस बात का पता लगाने के लिए सरकार ने रेटिंग व्यवस्था लागू करने का फैसला लिया है। मौजूदा समय में टायर की क्षमता जांचने के लिए बहुत ही कम एजेंसी हैं। ऐसे में सरकार ने देश के अलग अलग हिस्सों में जांच सेंटर बनाए जाने की भी बात कही है। इनमें टायरों की ईंधन खपत, ग्रिप नापने के साथ ही दूसरी चीजों के आधार पर इसकी रेटिंग तय की जाएगी। इस प्रक्रिया से ग्राहकों को सही और गलत के बीच चयन करने में आसानी होगी।
परिवहन क्षेत्र में ईंधन खर्च को कम करने के लिए सरकार लगातार नए-नए तरीके आजमा रही है। पहले जहां बीएस-4 वाहनों को बंद करने और इलेक्ट्रिक गाड़ियों को अपनाने पर जोर दिया गया। वहीं ईंधन बचाने और गाड़ी की कार्य क्षमता बढ़ाने के लिए टायरों की गुणवत्ता को सुधारने पर भी बल दिया जा रहा है। इसी के चलते रेटिंग प्रणाली शुरू की जा रही है। इससे कस्टमर को पता होगा कि उनकी गाड़ी कितना फ्यूल यूज कर रही है और इसकी लाइफलाइन कब तक रहेगी।