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गुजरातः टीकाकरण को बढ़ावा और सोशल मीडिया को जवाब देने आगे आईं मस्जिदें

सोशल मीडिया पर टीकाकरण को लेकर फैलाई जा रही अफवाहों के खिलाफ मुस्लिम समाज के लोग आगे आ गए हैं और मस्जिदों ने जागरूकता फैलानी शुरू कर दी है।

नई दिल्लीJul 14, 2018 / 11:27 am

अमित कुमार बाजपेयी

Gujarat Mosques emphasizing children vaccination in Muslim community

गुजरातः टीकाकरण को बढ़ावा और सोशल मीडिया को जवाब देने आगे आईं मस्जिदें

अहमदाबाद। सोशल मीडिया पर मुसलमान परिवारों से अपने बच्चों का टीकाकरण न करवाने वाले संदेशों की बाढ़ के बीच गुजरात में कई ऐसी मस्जिदें हैं जो समुदाय को टीकाकरण का महत्व बताने और जागरूकता फैलाने में जुटी हैं। इस कड़ी में वडोदरा और मध्य गुजरात के मस्जिदों ने शुक्रवार को डॉक्टरों से हाथ मिलाया ताकि वे बच्चों का टीकाकरण कराने की मुहिम में तेजी लाएं और इससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर कर जागरूकता फैलाएं। इस शानदार काम के लिए बड़ोदा मुस्लिम डॉक्टर्स एसोसिएशन और मजलिस-ए-उलेमा नामक मुस्लिम ट्रस्ट ने एक साथ जुड़कर समाज को नई दिशा देने का काम किया है।
वहीं, सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे कुछ संदेशों में यह दावा किया जा रहा है कि सरकार द्वारा 9 से 15 साल के बच्चों को दिया जाने वाला मीजल्स और रुबेला का टीका उन्हें नपुंसक बना देगा। इस संदेश को पढ़ने के बाद तमाम मुस्लिम परिवार गफलत में हैं। दारुल-उलूम देवबंद ने इन संदेशों पर ध्यान देने के बाद देश में मौजूद मस्जिदों को सर्कुलर जारी कर कहा है कि वे समुदाय के सदस्यों के बीच फैले इस डर को दूर करें।
Vaccination
जामिया मिल्लिया इस्लामिया द्वारा की गई अपील में कहा गया है, “मीजल्स काफी संक्रामक होता है और मीजल्स वायरस के चलते यह काफी जानलेवा बीमारी होती है। मीजल्स की वजह से डायरिया, अंधापन, निमोनिया जैसी बीमारी हो सकती है, जिससे मौत भी हो सकती है। भारत में मीजल्स के 95 फीसदी मामले 15 साल से कम उम्र के बच्चों में देखने को मिलते हैं।”
रुबेला संक्रामक है

इस अपील में रुबेला के बारे में बताते हुए कहा गया, “यह बच्चों और वयस्कों में होने वाला संक्रमण है” जो गर्भावस्था के दौरान जानलेवा भी हो सकता है। इसमें बताया गया, “इन जानलेवा बीमारियों से अपने बच्चों को बचाने के लिए मीजल्स और रुबेला वैक्सीन कई वर्षों से उपलब्ध हैं। हमारा देश 2020 तक इन बीमारियों से छुटकारा पाने का लक्ष्य रखे हुए है।”
इस अपील में मुसलमान समुदाय के सदस्यों से कहा गया है कि वे जहां पर यह टीके लगाए जाते हैं, वहां डॉक्टरों, सरकारी अस्पतालों-आंगनवाड़ी कर्मचारियों के साथ समन्वय और तालमेल बनाएं।

डॉक्टरों ने बताई अहमियत
वहीं, शुक्रवार को वडोदरा के पानीगेट मस्जिद में जुमे की नमाज के दौरान मुफ्ती ईरानी ने कहा कि इस अपील की जरूरत थी। उन्होंने मीडिया को बताया, “देश भर में सोशल मीडिया पर भेजे जा रहे संदेशों में कहा जा रहा है कि यह टीके बच्चों के लिए खराब हैं और इनसे मुस्लिम बच्चे नपुंसक हो जाएंगे। कई पढ़े-लिखे और सभ्रांत परिवार भी इन संदेशों के झांसे में आ रहे हैं। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि उन्हें बताया जाए कि यह टीके सुरक्षित होने के साथ ही बहुत जरूरी भी हैं। मैंने आज की नमाज के बाद यह संदेश दिया है और गुजरात व देश भर के तमाम मस्जिद भी ऐसा कर रहे हैं।”
गोधरा में भी मस्जिदों ने इन टीकों की महत्ता के बारे घोषणा करते हुए पर्चे बांटे। वडोदरा स्थित फेथ हॉस्पिटल के डॉ. मोहम्मद हुसैन ने कहा, “यह टीके पूर्णतया सुरक्षित हैं और मुसलमान समुदाय के सभी बाल रोग विशेषज्ञों की ओर से यह भरोसा दिलाया जाता है कि वे इन टीकों को लेकर फैलाई जा रही अफवाहों पर विश्वास न करें। हर साल इन टीकों के छूट जाने पर तमाम बच्चों की मौत हो जाती है।”

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