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भारत की सबसे बड़ी रक्षा कंपनी ‘एचएएल’ को नहीं मिल रहा कोई सौदा, खाली बैठ सकते हैं कर्मचारी

बैंगलूरू की एयरक्राफ्ट डिवीजन के 3,000 कर्मचारियों के पास कोई काम नहीं है।

Oct 20, 2018 / 04:51 pm

Shivani Singh

भारत की सबसे बड़ी रक्षा कंपनी ‘एचएएल’ को नहीं मिल रहा कोई सौदा, खाली बैठ सकते हैं कर्मचारी

नई दिल्ली। सरकारी क्षेत्र की सबसे बड़ी रक्षा कंपनी हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड इस समय काफी बूरी स्थिती से गुजर रही है। भारत की सैन्य शक्ति की रीढ़ की हड्डी कही जाने वाली हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को नए ऑर्डर नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में जल्द ही एचएएल में काम करने वाले कर्मचारी खाली बैठेने को मजबूर हो सकते हैं।

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29,035 कर्मचारी काम करते हैं

एचएएल कंपनी में 9,000 इंजीनियर सहित कुल 29,035 कर्मचारी हैं। कंपनी पूरे देश में नौ जगहों बैंगलूरू,महाराष्ट्र के नासिक,उत्तर प्रदेश के लखनऊ,कानपुर और कोरवा,पश्चिम बंगाल में बैरकपुर,केरल में हैदराबाद और कासरगोड में फैली हुई है। वहीं, बैंगलूरू और नासिक में कंपनी के 10,000 कमर्चारी हैं। इसके अलावा हेलीकाप्टर काम्पलेक्स अभी बन रहा है। इसके तैयार होने के बाद दूसरी यूनिटों में काम करने वाले कर्मचारियों को यहां लाया जाएगा।

‘हम 108 विमानों के सौदे (राफेल) को तैयार करने की उम्मीद कर रहे थे’

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अभी बैंगलूरू की एयरक्राफ्ट डिवीजन के 3,000 कर्मचारियों के पास कोई काम नहीं है। वह खाली बैठे हुए हैं। उनके पास कोई ऑर्डर ही नहीं है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि उन्हें एलसीए तेजस डिवीजन में लगा दिया जाएगा। वहीं, इस संबंध में एचएएल के अधिकारी ने बताया , ‘हम 108 विमानों के सौदे (राफेल) को तैयार करने की उम्मीद कर रहे थे, इनकी तैयारी कर ली गई थी। चूंकि यह सौदा केवल 36 विमानों तक सीमित था, जो फ्लाईवे हालत में आएंगे, इसके अलावा अभी कोई उम्मीद नहीं है।’

नहीं मिला सौदा तो खाली बैठ जाएंगे कर्मचारी

उन्होंने कहा कि अब एचएएल को 83 तेजस विमान का काम लेना होगा, अगर ये काम नहीं मिला तो उनके कर्मचारी खाली बैठ जाएंगे। वहीं टीओआई द्वारा रिपोर्ट के अनुसार रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने 83 तेजस खरीद को मंजूरी दे दी है, फिर भी इसे आईएएफ से वास्तविक आदेश में परिवर्तित नहीं किया गया है। बेंगलुरू और नासिक में एचएएल के सुखोई कॉम्प्लेक्स के साथ 5000 लोगों के पास आदेश हैं जो केवल 17 महीने तक चलेंगे। 222 सु -30 एमके -1 विमानों में से केवल 23 का अंतिम बैच डिलीवरी लंबित है।

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गोरतलब है कि रफाल डील पर देश में राजनीति गरमाई हुई है। इस डील के मामले में कांग्रेस मोदी सरकार पर अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस लिमिटेड को फायदा पहुंचाने का आरोप लगा रही है। कांग्रेस का कहना है कि सरकारी कंपनी एचएएल को इस सौदे में शामिल क्यों नहीं किया गया। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एचएएल को अनुबंध नहीं देकर कर्नाटक के लोगों से रोजगार छीनने का आरोप लगाया है।

 

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