मुख्य न्यायाधीश एस. के. मुखर्जी की अध्यक्षता वाली पीठ ने रेड्डी की याचिका पर सुनवाई करते हुए मृत्यु दंड पर रोक लगा दी
बेंगलूरु। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सीरियल किलर व बलात्कारी उमेश रेड्डी को मृत्युदंड देने पर फिलहाल रोक लगा दी है।
मुख्य न्यायाधीश एस. के. मुखर्जी की अध्यक्षता वाली पीठ ने रेड्डी की याचिका पर सुनवाई करते हुए मृत्यु दंड पर रोक लगा दी और केन्द्र व राज्य सरकार को 10 दिनों के भीतर आपत्तियां दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं।
रेड्डी के अधिवक्ता प्रो.रवि वर्मा कुमार ने दया याचिका के निस्तारण में देरी के आधार पर फांसी की सजा पर रोक लगाने की मांग की। उन्होंने कहा कि दया याचिका पर कार्रवाई में राष्ट्रपति की तरफ से दो साल से अधिक विलंब हुआ जिसके कारण अपने पक्ष में फैसले की उम्मीद कर रहे उनके मुवक्किल को मानसिक यंत्रणा से गुजरना पड़ा।
राज्य पुलिस के जवान रह चुके उमेश रेड्डी पर कर्नाटक, महाराष्ट्र तथा गुजरात मे 18 महिलाओं की हत्याएं व 20 महिलाओं के साथ बलात्कार करने के आरोप हैं। हालांकि, उसे नौ मामलों में दोषी करार दिया गया,जिसमें से एक केस 1998 में पीनिया में एक गृहिणी के साथ बलात्कार व हत्या का केस भी है। जबकि पुख्ता सबूतों के अभाव में वह 11 केसों से बरी हो गया।
निचली अदालत के फांसी की सजा की पुष्टि हाईकोर्ट कर चुका है। राष्ट्रपति के पास दया की अपील खारिज होने के बाद पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने भी उमेश रेड्डी की पुनरीक्षण याचिका खारिज करते हुए फांसी की सजा बरकरार रखी थी। शीर्ष अदालत के फैसले के बाद उमेश को फांसी देने की तैयारी की जा रही थी लेकिन हाईकोर्ट ने फिलहाल उस पर रोक लगा दी है।