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समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से निकालने की जरूरत
बता दें कि समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर निकालने के लिए ‘नाज फाउंडेशन’ के साथ मिलकर एनजीओ ‘हमसफर ट्रस्ट’ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिस पर फैसला अभी सुरक्षित रख लिया गया है। एनजीओ का कहना है कि यदि न्यायालय से न्याय नहीं मिलता है तो इस लड़ाई को आगे बढ़ाने के और विकल्प तलाशे जाएंगे।
स्कूली बच्चे को पढ़ाया जाए तीसरे जेंडर के बारेे में
‘हमसफर ट्रस्ट’ के प्रोग्राम मैनेजर यशविंदर सिंह का कहना है कि एलजीबीटी के प्रति जागरूकता फैलाने का पहला कदम है कि स्कूली बच्चों को इनके बारे में जानकारी दी जाए। स्कूल के पाठ्यक्रमों के जरिए यह काम किया जाना चाहिए कि सिर्फ दो जेंडर नहीं है, तीसरा जेंडर भी है। वहीं, इस तरह के कानून लाए जाने की जरूरत है, जिससे इन्हें समाज की मुख्यधारा में जोड़ा जा सके। इनके लिए रोजगार की व्यवस्था किए जाने की जरूरत है।
क्या कहा था सुब्रमण्यम स्वामी ने
समलैंगिकों को लेकर भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी के हिंदुत्व वाले बयान के बारे में पूछने पर यशविंदर कहते हैं, ‘समलैंगिकता को लेकर कुछ लोगों के निजी विचार हो सकते हैं, लेकिन मैं उनसे आग्रह करता हूं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन, आईएमए और अन्य संबद्ध संस्थाओं द्वारा उल्लिखित दिशानिर्देशों का पालन करें। समलैंगिकता प्रकृतिजन्य है और जो चीज हमें प्रकृति से मिली है, वह अप्राकृतिक कैसे हो सकती है?’
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धारा 377 ब्रिटिश सरकार ने बनाए थें
वहीं, उन्होंने धारा 377 पर बोलते हुए कहा कि इस कानून को ब्रिटिश सरकार ने तैयार किया था। मुझे लगता है कि धारा 377 को समाज सही तरीके से समझ नहीं पाया। यह धारा सिर्फ एलजीबीटी समुदाय से जुड़ी है, यह सच नहीं है। इस दिशा में जागरूकता फैलाने की जरूरत है कि किस तरह ऐसे सख्त कानूनों से मानवाधिकारों का हनन हो रहा है। संविधान की धारा 14,15,19 और 21 में मौलिक अधिकारों का हवाला दिया गया है, जिसका धारा 377 के तहत हनन हो रहा है।