हम यहां पहुंच गए। रफ्ता—रफ्ता ही सही मोक्षदायिनी की लहरों पर रौनक लौटने लगी है। सारे हरिद्वार को अगले साले होने वाले कुंभ का बेसब्री से इंतजार है। तब यह रौनक पूरे परवान पर होगी।
लॉकडाउन ( India Lockdown ) के कारण पिछले तीन माह से देशभर के श्मशान स्थलों की अलमारियों में रखीं या पेड़ों से लटकी हजारों अस्थियां गंगा मां के स्पर्श के इंतजार में थीं। अनलॉक—1 में दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की अंतरराज्यीय सीमाओं पर पास की बाध्यता खत्म होने से लोग तीर्थनगरी हरिद्वार पहुंचने लगे हैं। अभी बाहरी लोगों में स्नानार्थियों से ज्यादा वे लोग हैं, जो किसी परिजन के स्वर्गवासी होने के बाद अस्थि—विसर्जन, पिंडदान या अन्य कर्मकांडों के लिए यहां आ रहे हैं।
लॉकडाउन ( India Lockdown ) के कारण पिछले तीन माह से देशभर के श्मशान स्थलों की अलमारियों में रखीं या पेड़ों से लटकी हजारों अस्थियां गंगा मां के स्पर्श के इंतजार में थीं। अनलॉक—1 में दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की अंतरराज्यीय सीमाओं पर पास की बाध्यता खत्म होने से लोग तीर्थनगरी हरिद्वार पहुंचने लगे हैं। अभी बाहरी लोगों में स्नानार्थियों से ज्यादा वे लोग हैं, जो किसी परिजन के स्वर्गवासी होने के बाद अस्थि—विसर्जन, पिंडदान या अन्य कर्मकांडों के लिए यहां आ रहे हैं।
अनलॉक—1 के बावजूद उत्तराखंड सरकार ने सिर्फ चार घंटे की मोहलत दी है। यूपी और उत्तराखंड के बार्डर गुरुकुल नारसन पर ही हरिद्वार जाने वाले यात्रियों को रोक लिया जाता है। अस्थि—विसर्जन के लिए यदि कोई यहां देर शाम को पहुंचता है तो उसकी रात काली होना तय है। चार घंटे की अनुमति मिल भी जाए तो हरिद्वार में होटल—लॉज बंद मिलेंगे। तब रात सडक़ किनारे कार में ही गुजरेगी। इसलिए यहां सुबह चार—पांच बजे के बाद पहुंचना श्रेयस्कर है।
घाट पर बगैर मास्क के घूमने की सख्त मनाही- तीर्थ नगरी के ब्रह्मकुंड पर अस्थि—विसर्जन के लिए सुबह से लोग अपने पुरोहितों के साथ पहुंच रहे हैं। हर—हर गंगे के समवेत स्वरों में लाउडस्पीकर पर लगातार गूंजती आवाजें कुछ खलल डालती हैं—’बगैर मास्क के घूमना सख्त मना है। घाटों पर जाने से पहले सैनेटाइज जरूर करें और सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करें।’ हालांकि इसकी पालना होती नहीं दिखाई देती। पुरोहित कन्हैयालाल और अविनाश शर्मा बताते हैं कि अस्थि—विसर्जन की अनुमति तो पिछले माह मिल गई थी, लेकिन लोग अभी कुछ दिनों से ही ज्यादा आने लगे हैं।
होटलवालों पर सख्ती गंगा किनारे तीन होटलों में संपर्क किया कि कमरा न सही, सिर्फ स्नान के लिए वॉशरूम का सशुल्क इस्तेमाल करने दें—होटल संचालक साफ मना करते हुए बोले सीसीटीवी लगे हैं। किसी भी बाहरी को कुछ भी इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं है। होटल सील हो सकता है। तीन महीने से वैसे ही बिजनेस ठप है और इस साल पटरी पर आने की उम्मीद कम है। अब तो अगले साल मार्च में होने वाले कुंभ का इंतजार है।