मानव जीवन के लिए घातक हैं एफडीसी
इससे पहले केंद्र ने 2016 के मार्च में औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 26ए के तहत मानव उपयोग के उद्देश्य से 344 एफडीसी के उत्पादन, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगाया था। इसके बाद सरकार ने समान प्रावधानों के तहत 344 एफडीसी के अलावा पांच और एफडीसी को प्रतिबंधित कर दिया था। हालांकि, इससे प्रभावित उत्पादकों अथवा निर्माताओं ने देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में इस निर्णय को चुनौती दी थी।
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328 एफडीसी पर पूरी तरह लगा बैन
सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसम्बर, 2017 को सुनाए गए फैसले में दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इस मसले पर दवा तकनीकी सलाहकार बोर्ड द्वारा गौर किया गया, जिसका गठन औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 5 के तहत हुआ था। इस बोर्ड ने इन दवाओं पर अपनी रिपोर्ट केन्द्र सरकार को सौंप दी। दवा तकनीकी सलाहकार बोर्ड ने अन्य बातों के अलावा यह सिफारिश भी की कि 328 एफडीसी में निहित सामग्री का कोई चिकित्सीय इस्तेमाल नहीं है और इन एफडीसी से इंसानी स्वास्थ्य को खतरा पहुंच सकता है। दवा तकनीकी सलाहकार बोर्ड ने सिफारिश की है किऔषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 26ए के तहत व्यापक जनहित में इन एफडीसी के उत्पादन, बिक्री अथवा वितरण पर प्रतिबंध लगाना आवश्यक है। छह एफडीसी के बारे में बोर्ड ने सिफारिश की कि इनके चिकित्सीय औचित्य के आधार पर कुछ शर्तो के साथ इनके उत्पादन, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगाया जाए।
क्या है एफडीसी दवाएं
एफडीसी दवाओं को बनाने के लिए एक से अधिक दवा को मिलाया जाता है। मसलन किसी दवा में पेन किलर के साथ एंटीबॉयोटिक भी हो सकता है। ये दवाएं भारत में ज्यादातर लोग बैगर डॉक्टर के सलाह के खाया करते थे। कुछ मामलों में इन दवाओं का बेहद खतरनाक असर देखने को मिला है। कई बार इसके साइड इफेक्ट से इंसान की जान तक चली जाती है।