स्वास्थ्य मंत्रालय ( Health Ministry ) की ओर से कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए रणनीति बनाई गई है। इस रणनीति के तहत सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र को पूरी तरह से बफर जोन बनाकर सील किया जाएगा। इन इलाकों तकरीबन एक महीने तक पूरी तरह से बंद रखा जाएगा। साथ ही उस इलाके में किसी को भी जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। वहीं, जिन इलाकों में कोरोना के मरीज होंगे वहां स्कूल, कॉलेज और ऑफिस को बंद रखा जाएगा। इतना ही नहीं प्राइवेट और पब्लिक ट्रांसपोर्ट को उन इलाकों में चलने की इजाजत नहीं होगी। प्लान के मुताबिक, केवल जरूरी सेवाओं को बहाल रखा जाएगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, इन इलाकों से तब तक पाबंदियां नहीं हटाई जाएगी, जब तक कोरोना का पूरा सफाया नहीं हो जाएगा। इसके लिए शर्त ये रखी गई है कि आखिरी पॉजिटिव मरीजे मिलने के चार हफ्तों के बाद सारी पाबंदियां खत्म की जाएगी। वहीं, कोरोना के सभी मरीजों को हॉस्पिटल के आइसोलेशन वार्ड में रखा जाएगा। ये वो हॉस्पिटल होंगे जिन्हें खासतौर पर कोरोना के लिए तैयार किया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना के मरीज को अस्पताल से छुट्टी देने के लिए भी गाइडलाइंस तैयार किए गए हैं। इसके तहत किसी भी मरीज को तभी हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया जाएगा, जब उसके लगातार दो सैंपल निगेटिव आएंगे। इसके अलावा कम लक्षण वाले मरीजों को स्टेडियम में रखा जाएगा। थोड़े ज्यादा लक्ष्ण जिनमें दिखेंगे उन्हें हॉस्पिटल में रखा जाएगा। वहीं, गंभीर मरीजों को स्पेशल हॉस्पिटल में रखा जाएगा। इसके अलावा इंफ्लुएंजा जैसी बीमारियों के मामलों की जांच स्वास्थ्य केंद्रों पर की जाएगी। किसी भी तरह की बढ़त पर नजर रखी जाएगी और अतिरिक्त जांच के लिए इसे सर्विलांस ऑफिसर या सीएमओ की जानकारी में लाया जाएगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार कोरोना जांच की संख्या लगाता बढ़ाने की तैयारी मे है। इसके लिए 50 लाख रैपिड टेस्ट किट का ऑर्डर दे दिया गया है। गौरतलब है कि इस महामारी ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है। विकसित देशों में भी सरकार इस खतरनाक वायरस को रोकने में कामयाब नहीं है।