सोमवार को हाईकोर्ट ने एमसीडी और सिविक एजेंसियों को ये निर्देश दिए है कि वो ऐसी संभावनाओं की तलाश करें, जिसमें इस मूर्ति को एयरलिफ्ट किया जा सके। हाईकोर्ट ने ये निर्देश करोल बाग में बढ़ रहे अतिक्रमण को हटाने को लेकर दिया है। साथ ही हाईकोर्ट ने इस पर नाराजगी भी जाहिर की है। इस मामले में अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी।
करोल बाग में अतिक्रमण को हटाने को लेकर एक पब्लिक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की कार्यवाहक चीफ जस्टिस गीता मित्तल की बेंच ने नगर निगम, दिल्ली पुलिस और अन्य सिविक एजेंसियों को ये आदेश दिया है कि मूर्ति एयरलिफ्ट करने के बाद इसके आसपास अतिक्रमण हटाने पर विचार किया जाए। कोर्ट ने अमेरिका का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां भी गगनचुंबी इमारतें दूसरी जगह शिफ्ट की जा चुकी हैं।
हाईकोर्ट ने सिविक एजेंसियों को फटकारते हुए कहा कि वह एक ऐसी जगह बताएं, जहां नियमों का पालन हुआ हो। दिल्ली में हर जगह अतिक्रमण है। लोगों का माइंडसेट हो गया है कि कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। सिविक एजेंसियों को कई मौके दिए लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। लगता है कोई कुछ करना ही नहीं चाहता।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, “करोल बाग और झंडेवालान के बीच करीब डेढ़ दशक पुरानी 108 फुट ऊंची हनुमान की मूर्ति को एयरलिफ्ट किया जा सकता है या नहीं ? इस पर सिविक एजेंसिया और एमसीडी अपनी रिपोर्ट दे। इस बारे में उपराज्यपाल से भी मीटिंग करें।”