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महिला ने पति के चरित्र पर उठाए थे सवाल
गौरतलब है कि महिला ने अपने पति पर आरोप लगाया था कि उसका पति झगड़ालू किस्म का है। पति के झगड़ा करने की आदत की वजह से उन्हें बेंगलुरु से पुणे ट्रांसफर कर दिया गया। महिला ने यह भी कहा था कि उनके पति ने उन्हें मारा-पीटा और घर से निकाल दिया। महिला ने आगे कहा कि उसका पति शराब पीता है। शराब पीने के बाद झगड़ा और मार-पीट करता है। इसके अलावा उसके पति के अन्य महिलाओं से अवैध संबंध है। पत्नी उनके उनपर पैसे खर्च करने का भी आरोप लगाया था। लेकिन कोर्ट के सामने महिला अपने इन आरोपों को साबित नहीं कर पाई।
आरोप लगाने बाद साबित करना भी जरूरी
इस केस में अदालत की डिविजन बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि महिला ने आरोप लगाने से पहले उसे साबित करने के बारे में नहीं सोचा था और सुनवाई के दौरान आरोपों को साबित भी नहीं कर पाईं। जस्टिस विनीत कोठारी और एसबी प्रभाकर शास्त्री ने कहा, ‘इस तरह के आरोप लगाए जाने के बाद यह भी जरूरी है कि उसे साबित किया जाए। नहीं तो इस तरह के गंभीर आरोप लगाना मानसिक क्रूरता माना जाएगा।’
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पत्नी को तलाक के बाद देना होगा पैसा
पत्नी कि तरफ से लगाए गए आरोप साबित नहीं होने के बाद कोर्ट ने पति को निर्देश दिया है कि वह अपनी पत्नी तलाक दे सकता है। लेकिन उसे अपनी पत्नी को निर्वाह के लिए 10 लाख रुपए देने होंगे। साथ ही फैमिली कोर्ट ने अपने आदेश में इस जोड़े के बेटे के खर्च के लिए 7,500 रुपये देने का फैसला दिया था, जिसे कोर्ट ने जारी रखा है।