हाई कोर्ट से आसाराम को बड़ा झटका शुक्रवार को उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने 4 दिसंबर को जारी अपने आदेश में उच्च न्यायालय के पूर्व के स्टे आदेश को स्थगित कर दिया है । इस आदेश के बाद अब वन विभाग की भूमि को आश्रम के कब्जे से खाली कराने का रास्ता साफ हो गया है। मामले के अनुसार वन विभाग ने ऋषिकेश की ब्रह्मपुरी स्थित मुनि की रेती में लीज संख्या 59 से संत आसाराम बापू को 1970 में लीज एक्सपायर होने और दोबारा रिन्यू नहीं कराने के कारण 9 सितंबर 2013 को भूमि खाली करने का नोटिस जारी किया था ।
वनभूमि से हटाया जाएगा आसाराम का आश्रम हाई कोर्ट के अधिवक्ता कार्तिकेय हरिगुप्ता ने कहा कि उन्होंने न्यायालय को बताया कि आसाराम के आश्रम में अवैध निर्माण के कारण भी वन विभाग ने उन्हें फरवरी 2013 में नोटिस जारी किया था । उन्होंने कहा कि एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि लीज डीड 1970 में खत्म हो गई थी, जिसे रिन्यू नहीं कराया गया था। सुनवाई करते हुए न्यायालय ने साफ कहा है कि आश्रम प्रबंधन बिना वन विभाग की अनुमति के वन गतिविधियां चला रहा है । इस कारण से कोर्ट के पूर्व आदेश को निरस्त किया जाता है और वन विभाग के 9 सितंबर 2013 के वनभूमि खाली करने के आदेश को प्रभावी किया जाता है। कोर्ट के इस फैसले से आसाराम की मुसीबत बढ़ गई और जल्द ही उसके आश्रम को खाली कराया जा सकता है।