साढ़े 51 हजार लोगों पर सिर्फ एक जज गौरतलब है कि कानून मंत्रालय की तरफ से हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में करीब छह हजार से ज्यादा न्यायाधीशों के पद खाली हैं। इनमें से करीब पांच हजार पद निचली अदालतों में हैं। न्याय व्यवस्था के हालात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि संसद में तैयार हुई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्रत्येक 10 लाख लोगों के लिए औसतन महज 19.46 न्यायाधीश हैं। इस हिसाब से देश में लगभग 51,400 लोगों पर औसतन सिर्फ एक न्यायाधीश है। देश की विभिन्न अदालतों में बर्तन चोरी से लेकर छोटी-मोटी मारपीट के मामले भी दशकों से चल रहे हैं, कई मामलों में जितना नुकसान पीड़ितों का घटना की वजह से नहीं होता उतना अदालतों के चक्कर काटने में हो जाता है।
…ये है विभिन्न अदालतों के हालात – सर्वोच्च न्यायालय में 31 पद स्वीकृत हैं जिनमें से छह खाली हैं।
– उच्च न्यायालयों में 1079 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 427 खाली हैं।
– निचली अदालतों में 5727 न्यायाधीशों के पद खाली हैं।
अरसे से हो रही है न्यायाधीश बढ़ाने की मांग – पूर्व मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में कहा था कि न्यायाधीशों की संख्या 21 हजार से बढ़ाकर 40 हजार किए जाने की जरूरत है। इस कार्यक्रम में न्यायालय के हालात सुनाते हुए जस्टिस ठाकुर के आंसू निकल आए थे।
– विधि आयोग ने 1987 में प्रत्येक 10 लाख लोगों पर न्यायाधीशों की 10 से बढ़ाकर 50 करने की सिफारिश की थी, लेकिन करीब तीन दशक बाद भी यह आंकड़ा 20 से भी कम है।