scriptभगवान जगन्नाथ की बहुड़ा यात्रा में दिखी सांप्रदायिक सौहार्द की झलक, हिंदू-मुस्लिम समुदाय ने मिलकर साफ की सड़कें | Hindus, Muslims unite to restore cleanliness post 'Bahuda Yatra' | Patrika News

भगवान जगन्नाथ की बहुड़ा यात्रा में दिखी सांप्रदायिक सौहार्द की झलक, हिंदू-मुस्लिम समुदाय ने मिलकर साफ की सड़कें

locationनई दिल्लीPublished: Jul 24, 2018 08:00:01 am

Submitted by:

Saif Ur Rehman

भगवान जगन्नाथ उत्सव की रथयात्रा के समापन की रस्म को बहुड़ा यात्रा कहा जाता है।

rath

भगवान जगन्नाथ की बहुड़ा यात्रा में दिखी सांप्रदायिक सौहार्द की झलक, हिंदू-मुस्लिम समुदाय ने मिलकर साफ की सड़कें

बारीपोड़ा। ओडिशा में युवा बहुड़ा यात्रा के दौरान सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश देते नजर आए। सोमवार देर रात हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मिलकर बहुड़ा यात्रा प्रारंभ होने के बाद साफ-सफाई का जिम्मा निभाया। स्वयंसेवकों का एक समूह बारीपोड़ा की सड़कें साफ करते दिखे। बता दें कि भगवान जगन्नाथ उत्सव की रथयात्रा के समापन की रस्म को बहुड़ा यात्रा कहा जाता है। सफाई करने वाले लोगों ने स्वच्छता की महत्ता के बारे में बातें करते हुए कहा कि इसका संबंध मजबह से नहीं है। एक वालंटियर ने कहा है कि, “सफाई का कोई धर्म नहीं होता है, इसलिए हम सब साथ आए। हम खुशकिस्मत हैं कि हमें ये काम करने का मौका मिला”। अन्य स्वंयसेवक का कहना है कि, ” हम देश के लोगों के लिए एक उदाहरण पेश करना चाहते हैं। सेहमतमंद रहने के लिए हमें हमारे शहरों को स्वच्छ रखना चाहिए”। वाकई उन्होंने सफाई के माध्यम से सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल तो पेश की है ही साथ ही स्वच्छ भारत अभियान को भी बढ़ावा दिया है।
जगन्नाथ को मौसी गुंडिचा ने भावुक होकर किया विदा, रिमझिम फुहारों के साथ भक्तों ने खींचा रथ


जगन्नाथ रथ यात्रा के 10वें दिन होती है बहुड़ा यात्रा
पुरी शहर में निकलने वाली जगन्नाथ रथयात्रा दुुनिया भर में प्रसिद्ध है। इसमें शामिल होने के लिए विश्वभर से पूरी दुनिया के लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। इस साल यह रथयात्रा 14 जुलाई से शुरु हुई और 23 जुलाई को इस यात्रा का समापन हुआ। यात्रा का महत्वपूर्ण भाग है कि इस उत्सव में किसी प्रकार का जातिभेद देखने को नहीं मिलता है। आषढ़ माह के दसवें दिन सभी रथ फिर से मुख्य मंदिर की ओर चलते हैं। रथों की वापसी की इस यात्रा की रस्म को बहुड़ा यात्रा कहते हैं। जगन्नाथ मंदिर वापस पहुंचने के बाद भी सभी प्रतिमाएं रथ में ही रहती हैं। देवी-देवताओं के लिए मंदिर के द्वार अगले दिन एकादशी को खोले जाते हैं और उसी के बाद देवी-देवताओं को स्नान करवा कर वैदिक मंत्रोच्चार द्वारा विग्रहों को फिर से प्रतिष्ठित किया जाता है। इस दस दिवसीय रथ यात्रा के अत्सव के दौरान किसी भी घर में कोई भी पूजा नहीं होती है और न ही किसी प्रकार का उपवास रखा जाता है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो