पेमेंट विवाद पर डेड बॉडी नहीं रोक सकेंगे अस्पताल
दरअसल, मानवाधिकार आयोग ने एक ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसमें मरीज की मौत के बाद पेमेंट विवाद को लेकर डेड बॉडी नहीं सौंपना अपराध के दायरे में आ सकता है और ऐसे में अस्पताल प्रशासन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। देश में पहली बार मानवाधिकार आयोग ने मरीजों के अधिकारों का प्रारूप तैयार किया है।
30 दिन में आम लोगों से मांगी गई है राय
इस ड्राफ्ट के लिए फिलाहल मानवाधिकार आयोग ने 30 दिन का समय तय किया है आम लोगों को अपनी राय देने का। इसके अलावा राज्य और केंद्र सरकार का भी इसपर ओपिनियन लिया जाएगा और इसके बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। चूंकि स्वास्थ्य राज्य का विषय है, लिहाजा प्रारूप राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को भेजा जाएगा। इसे लागू करना है या नहीं, यह फैसला राज्य ही करेंगे।
क्या व्यवस्था है ड्राफ्ट के अंदर
ड्राफ्ट के तहत हर सरकारी, गैर सरकारी अस्पताल को मरीजों की समस्या सुनने के लिए एक आंतरिक सिस्टम बनाना होगा। शिकायत के 24 घंटे के अंदर शिकायतकर्ता को शिकायत की स्थिति के बारे में बताना होगा। 15 दिनों के अंदर शिकायत पर की गई कार्रवाई का लिखित जवाब देना होगा। यदि मरीज संतुष्ट नहीं हुआ तब मरीज के पास स्टेट काउंसिल में अपील करने का विकल्प होगा। काउंसिल को तीन या पांच सदस्यीय कमेटी बनाने का अधिकार होगा। इस कमेटी को अनुशासनात्मक और दंडात्मक कार्रवाई करने का अधिकार दिया गया है।
विकल्पों की नहीं होगी कमी
इस कमेटी से भी मरीज को संतुष्टि नहीं मिलती है, तो स्टेट मेडिकल काउंसिल और कंज्यूमर फोरम में जाने का विकल्प होगा। प्रारूप तय करने के लिए लोग अपनी राय help.ceact2010@nic.in पर सितंबर माह तक भेज सकते हैं।