afspa का विरोध करने वाली शर्मिला 16 साल बाद खत्म करेंगी अनशन, चुनाव लड़ेंगी और शादी करेंगी
1,528 हत्या के मामलों की एक जांच पर केंद्रित थी चर्चा
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, परिवर्ती न्याय में न्यायिक व गैर न्यायिक दोनों प्रक्रिया और तंत्र समाहित है, जिसमें अभियोग पहल, सच की मांग, मुआवजा कार्यक्रम, संस्थागत सुधार या इसके उचित संयोजन शामिल हैं। चर्चा में शामिल वक्ताओं ने उन कारणों पर विचार-विमर्श किया, जो क्षेत्र में सुरक्षा बलों व विद्रोही समूहों द्वारा किए गए मानवाधिकार उल्लंघनों के संबंध में जवाबदेही की कमी की ओर ले जाते हैं। यह चर्चा मणिपुर में कथित न्यायेतर हत्याओं के लगभग 1,528 मामलों की एक जांच पर केंद्रित थी। सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले साल सीबीआई अधिकारियों वाला एक विशेष जांच दल गठित किया था और प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिए थे। साथ ही पूर्वोत्तर राज्य में हुई कथित न्यायेतर हत्याओं की जांच का भी आदेश दिया गया था।
AFSPA पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ताकत का बेजा इस्तेमाल न करें सेना
यह कानून तर्कसंगत नहीं: हजारिका
‘स्ट्रेंजर ऑफ द मिस्ट: टेल्स ऑफ वॉर एंड पीस फ्रॉम इंडिया नॉर्थईस्ट’ के लेखक हजारिका ने कहा, “यह कानून तर्कसंगत नहीं है और इसे रद्द किए जाने की जरूरत है।” हजारिका ‘पॉटेंशियल ट्रांजिशनल जस्टिस फ्रेमवर्क फॉर मणिपुर’ पर आयोजित एक विचार-विमर्श में बोल रहे थे, जिसका आयोजन यहां एक दिसंबर को ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीई) के सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स स्टडीज (सीएचआरएस) और सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ स्टडी ऑफ नॉलेज सिस्टम्स ऑफ जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल (जेजीएलएस) द्वारा किया गया था। विचार-विमर्श में संघर्ष से शांति की ओर प्रभावी परिवर्तन पर मजबूती से ध्यान केंद्रित करने के साथ एक उपयुक्त परिवर्ती न्याय मॉडल की उपयुक्तता व मणिपुर राज्य में सुलह का विश्लेषण किया गया।
AFSPA हटाने की चर्चा गर्म, मुफ्ती ने की PM मोदी-राजनाथ से मुलाकात
हम अच्छी प्रगति कर रहे हैं, लेकिन न्याय से अभी भी दूर हैं: बबलू
मणिपुर के ह्यूमन राइट अलर्ट के निदेशक बबलू लोइटोंग्बाम भी इस चर्चा के दौरान यहां उपस्थित थे। बबलू ने कहा, “हमने पीड़ितों को एक साथ संगठित किया है और सर्वोच्च न्यायालय में 1,528 मामले दाखिल किए, जो अपने आप में एक बड़ी बात है। हमने छह साल पहले शीर्ष अदालत में पीआईएल दाखिल कर इस यात्रा की शुरुआत की थी और अब तक हमें इसमें कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिखा कि हमें न्याय मिलेगा।” उन्होंने कहा, “हम अच्छी प्रगति कर रहे हैं, लेकिन न्याय से अभी भी दूर हैं। जबकि हमने 2012 में शुरुआत की थी। वक्त आ गया है कि अब हम आफस्पा द्वारा प्रचारित इस पूरे दंडमुक्ति की घटना और लंबे समय से चले आ रहे इसके प्रभावों की ओर गौर करें।”
प्रताड़ना, लापता करना और न्यायेतर हत्याएं मानवाधिकार का उल्लंघन: वाई.एस.आर मूर्ति
जेजीयू के सेंटर ऑफ ह्यूमन राइट स्टीडज के कार्यकारी निदेशक वाई.एस.आर मूर्ति ने कहा, “प्रताड़ना, लापता करना और न्यायेतर हत्याएं मानवाधिकार का घोर उल्लंघन हैं और प्रत्येक आरोप की जांच होनी चाहिए और पीड़ित या उसके निकटतम संबंधी को न्याय दिया जाना चाहिए।” मूर्ति ने कहा, “इस परिप्रेक्ष में संघर्ष में अनाथ हुए बच्चों व विधवाओं की हालत का हल निकाला जाना चाहिए। हमारा सेंटर इस संबंध में एक रिपोर्ट तैयार कर रहा है, ताकि कानून व न्याय को उन्नत बनाया जा सके।”