113 दिन से धरने पर थे लोग
दलित समाज का कहना है कि वे पिछले करीबन 113 दिन से जींद में धरने पर बैठे थे लेकिन सरकार उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रही थी। अपनी मांगों को लेकर दलित समाज के लोग मुख्यमंत्री से भी मिल चुेके हैं लेकिन हर बार आश्वासन ही दिया गया। दलित समाज ने खट्टर सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। दलित नेता दिनेश खापड़ ने बताया, ‘हरियाणा सरकार ने 7 मार्च को हमारी मांगें पूरी करने के लिए तैयार हो गए थे। हमने 20 मई को चेतावनी दी थी कि अगर एक सप्ताह में हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं तो हम बौद्ध धर्म अपना लेंगे। हमने 27 मार्च को दिल्ली के लिए चलना शुरू किया और 2 जून को लद्दाख भवन में बौद्ध धर्म अपना लिया।’
दलित समाज का कहना है कि वे पिछले करीबन 113 दिन से जींद में धरने पर बैठे थे लेकिन सरकार उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रही थी। अपनी मांगों को लेकर दलित समाज के लोग मुख्यमंत्री से भी मिल चुेके हैं लेकिन हर बार आश्वासन ही दिया गया। दलित समाज ने खट्टर सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। दलित नेता दिनेश खापड़ ने बताया, ‘हरियाणा सरकार ने 7 मार्च को हमारी मांगें पूरी करने के लिए तैयार हो गए थे। हमने 20 मई को चेतावनी दी थी कि अगर एक सप्ताह में हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं तो हम बौद्ध धर्म अपना लेंगे। हमने 27 मार्च को दिल्ली के लिए चलना शुरू किया और 2 जून को लद्दाख भवन में बौद्ध धर्म अपना लिया।’
हेली टैक्सी सर्विस शुरू, अब सिर्फ 20 मिनट पहुंच सकते हैं शिमला से चंडीगढ़ क्या हैं मांगें? दलित समाज की की मांग हैं कि गैंगरेप केस की सीबीआई जांच की जाए, ईश्वर हत्याकांड के परिजनों को नौकरी दी जाए, जम्मू में शहीद हुए दलित परिवार को नौकरी दी जाए और इसके अलावा एससी/एसटी एक्ट में अध्यादेश लाया जाए।दलित नेता ने आरोप लगाया है कि हिंदू समाज के ठेकेदार दलितों का शोषण करने में लगे हैं, ऐसे में धर्म बदलना मजबूरी बन गया था। आपको बता दें कि पिछले कुछ समय में दलितों के खिलाफ हिंसा में बढ़ोतरी हुई है, इसके अलावा हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी/एसटी एक्ट में किए गए बदलाव के बाद भी दलितों का गुस्सा देखने को मिला था। इसको लेकर कई राज्यों में प्रदर्शन हुए थे।