दिसंबर से है शिप में उन्होंने बताया कि यूं तो शाइनी के पति डिलेवरी से पहले भारत आने वाले थे। लेकिन लॉकडाउन के चलते वो नहीं आ पा रहे हैं। इस दौरान डॉक्टर के पास रूटीन चैकअप से लेकर बाकी सभी काम शाइनी ने खुद किए हैं। पति दिसंबर में शिप पर गए थे और उनका चार महीने का कॉन्ट्रैक्ट था। 120 दिनों से ज्यादा हो गए हैं शाइनी के पति समेत सैकड़ों भारतीय नाविकों को पानी और लहरों के बीच जहाज पर फंसे।
अप्रैल को लौटना था पति को वह कहती हैं, ‘अप्रैल के फर्स्ट वीक में वापस आने वाले थे। लेकिन अभी तक नहीं आ पाए। मेरे पापा की उम्र 67 साल है। मां 63 साल की हैं। घर में और कोई नहीं है। कैब से डॉक्टर के पास जाती हूं तो संक्रमण का खतरा होता है। लेकिन सरकार को हमारी दिक्कत से क्या फर्क पड़ता है?’ ऐसी ही कहानी पुणे में रहने वाली रितु पंडित की भी है। उनके पति 19 जनवरी को मोरक्को से जहाज में गए थे। अप्रैल में वापस लौटना था। लेकिन अचानक इंटरनेशनल फ्लाइट्स बंद हो गई। रितु अपनी एक साल की बेटी के साथ पुणे में फंसी हैं और पति कब लौटेंगे कोई नहीं जानता।
दिसंबर से चल रहा है लॉकडाउन रितु कहती हैं, ‘अभी वो यूरोप में हैं और उनका जहाज अब स्पेन जा रहा है। किसी देश में उतरते भी हैं तो वहां से भारत नहीं आ पाएंगे क्योंकि फ्लाइट बंद हैं। इसलिए शिप में ही हैं। उनके लिए तो लॉकडाउन दिसंबर से ही चल रहा है क्योंकि वे तब से शिप पर ही हैं।’ ये कहानी सिर्फ रितु और शाइना की नहीं है। भारत के कई सारे नाविक हैं जो अलग-अलग देशों में जहाज पर फंसे हुए हैं। लॉकडाउन है और फ्लाइट्स बंद हैं इसलिए वतन वापस नहीं आ सकते। कोई 4 महीने से तो कोई 17 महीने से जहाज पर फंसा है। कंपनी कॉन्ट्रैक्ट आगे बढ़ाते जा रही है क्योंकि वापस आने का कोई रास्ता नहीं है।