मानव तस्करी के लगे आरोप
कतर की जेल में बंद लड़के के परिवार ने एक एजेंट पर मानव तस्करी का आरोप भी लगाया है। पीड़ित लड़के की मां एस एक कुआदरी के अनुसार, ” एजेंट ने कनाडा या फिर अमरीका में नौकरी दिलाने का वादा किया था। साथ ही कतर में 4 दिन घूमने के लिए भी कहा जिससे उसे कनाडा का वीजा आसानी से मिल जाए। एजेंट ने नौकरी दिलाने के लिए 6 लाख रुपए भी लिए। 4 दिन के लिए उनका लड़का कतर चला गया। फिर उसके बाद उसकी कोई सूचना नहीं मिली। एजेंट ने मार्च में बताया कि उनके बेटे को कतर की जेल में डाल दिया गया है। महिला का कहना है कि एजेंट ने उनके बेटे को जेल में डालने का कोई कारण नहीं बताया। अब एक परेशान मां अपने लाल को देखने के लिए बेचैन हैं।
कतर की जेल में बंद लड़के के परिवार ने एक एजेंट पर मानव तस्करी का आरोप भी लगाया है। पीड़ित लड़के की मां एस एक कुआदरी के अनुसार, ” एजेंट ने कनाडा या फिर अमरीका में नौकरी दिलाने का वादा किया था। साथ ही कतर में 4 दिन घूमने के लिए भी कहा जिससे उसे कनाडा का वीजा आसानी से मिल जाए। एजेंट ने नौकरी दिलाने के लिए 6 लाख रुपए भी लिए। 4 दिन के लिए उनका लड़का कतर चला गया। फिर उसके बाद उसकी कोई सूचना नहीं मिली। एजेंट ने मार्च में बताया कि उनके बेटे को कतर की जेल में डाल दिया गया है। महिला का कहना है कि एजेंट ने उनके बेटे को जेल में डालने का कोई कारण नहीं बताया। अब एक परेशान मां अपने लाल को देखने के लिए बेचैन हैं।
बढ़ रहे हैं मानव तस्करी के आंकड़े
आजकल हैदराबाद के लिए कहा जा रहा है कि वह मानव तस्करी के लिए ट्रांजिट प्लेस है। वहां तेलंगाना और आंध्रप्रदेश के छोटे-छोटे कस्बे और गांव से लड़के-लड़कियां की तस्करी की जाती है। पिछले साल हैदराबाद के एक स्थानीय एनजीओ माई च्वाइस नाम के फाउंडेशन ने अपनी पड़ताल में बताया था कि लड़कियों को जिस्मफरोशी के धंधे में ढकेला जा रहा है, इसके अलावा अवैध व्यापार और घरेलू श्रम में ही उन्हें जबदस्ती शामिल किया जा रहा है। मानव तस्करी के आंकड़ों में भी इजाफा हुआ है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक 2016 में भारत में मानव तस्करी के 8,000 से अधिक मामले सामने आए हैं, जिसमें 182 विदेशियों सहित कुल 23,000 पीड़ितों का रिहा कराया गया। मानव तस्करी के सबसे अधिक 3,579 मामले (कुल का करीब 44 प्रतिशत) पश्चिम बंगाल में दर्ज किए गए। 2015 में असम पहले और पश्चिम बंगाल 1,255 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर था
आजकल हैदराबाद के लिए कहा जा रहा है कि वह मानव तस्करी के लिए ट्रांजिट प्लेस है। वहां तेलंगाना और आंध्रप्रदेश के छोटे-छोटे कस्बे और गांव से लड़के-लड़कियां की तस्करी की जाती है। पिछले साल हैदराबाद के एक स्थानीय एनजीओ माई च्वाइस नाम के फाउंडेशन ने अपनी पड़ताल में बताया था कि लड़कियों को जिस्मफरोशी के धंधे में ढकेला जा रहा है, इसके अलावा अवैध व्यापार और घरेलू श्रम में ही उन्हें जबदस्ती शामिल किया जा रहा है। मानव तस्करी के आंकड़ों में भी इजाफा हुआ है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक 2016 में भारत में मानव तस्करी के 8,000 से अधिक मामले सामने आए हैं, जिसमें 182 विदेशियों सहित कुल 23,000 पीड़ितों का रिहा कराया गया। मानव तस्करी के सबसे अधिक 3,579 मामले (कुल का करीब 44 प्रतिशत) पश्चिम बंगाल में दर्ज किए गए। 2015 में असम पहले और पश्चिम बंगाल 1,255 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर था