नीट का पेपर लीक करने के केस में पकड़े गए लोगों में से एक शख्स ने उन्हें बताया है कि उसने अपनी गर्लफ्रेंड के लिए नीट का पेपर लीक किया था
नई दिल्ली। दिल्ली ने पुलिस ने बताया कि नीट का पेपर लीक करने के केस में पकड़े गए लोगों में से एक शख्स ने उन्हें बताया है कि उसने अपनी गर्लफ्रेंड के लिए नीट का पेपर लीक किया था। पेपर दिसंबर 2016 में पोस्ट ग्रेजुएशन मेडिकल कोर्स के लिए हुआ था। अभिषेक सिंह ने पुलिस को बताया कि मुख्य आरोपी अतुल वत्स ने उससे कहा था कि वह उसकी गर्लफ्रेंड के पेपर में पास कराने में उसकी मदद कर सकता है।
पटना का रहने वाला है अतुल
अतुल वत्स पटना का रहने वाला है और अभी तिहाड़ जेल में बंद है। अतुल 10 अप्रैल 2017 से तिहाड़ में है। अतुल अपने साथी अंकुर मिश्रा के साथ ऐसे छात्रों को ढूंढते थे जो कि अच्छी रैंक लाने के लिए पैसे देने के लिए तैयार हो जाते थे। अंकुर मिश्रा अभी फरार है। अतुल ने पुलिस को कहा था कि एजेंट एडमिशन के 60 से 90 लाख चार्ज करते थे लेकिन मैं 30 से 40 लाख रुपये लेता था।
बैंक में पीओ की जॉब के बाद करने लगा पेपर लीक
2003 में अतुल वत्स आईआईटी की कोचिंग के लिए दिल्ली आया था। जिसके बाद वह राजस्थान में आगे की कोचिंग के लिए
कोटा चला गया था। वह 2006 में दिल्ली से एआईईईई के पेपर में बैठा था। जिसमें उसने 9600 रैंक भी हासिल की थी। जिसके बाद उसने पटना नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से कम्यूटर साइंस में बीटेक की उसके बाद वह फिर दिल्ली आ गया। 2011 में उसने एमबीए के लिए पेपर दिया जिसमें उसकी पर्सेनटेज कम आने की वजह से उसका एडमिशन नहीं हुआ। पुलिस ने बताया कि अतुल वत्स ने अपने एक दोस्त दीपक के साथ मिलकर बिहार में आईआईटी और मेडिकल की एंट्रेस क्लियर करने के लिए बिहार में कोचिंग इंस्टीट्यूट खोला। जहां वह फिजिक्स और केमेस्ट्री पढ़ाते थे। लगातार हो रहे नुकसान की वजह से दोनों ने अपना सेंटर बंद कर दिया और सरकारी एग्जाम (एसएससी,बैंकिंग, यूपीएससी) की तैयारी करने लगे। 2014 में वह यूको बैंक में पीओ पोस्ट के लिए भी चुना गया लेकिन एक साल बाद उसने अपनी जॉब छोड़ दी। वह फिर से सरकारी पेपर की तैयारी में जुड़ गया। इसी समय में उसके घरवालों ने उससे नाता तोड़ लिया। पुलिस के सीनियर अधिकारी के मुताबिक फिर अतुल कुछ ऐसे लोगों से मिला जो गलत तरीके से मैनेजमेंट कॉलेज में एडमिशन कराते थे।
12 लोगों को कराया पेपर पास
वत्स ने पुलिस को बताया कि उसे लोग ढूंढने होते थे जो जुगाड़ से पेपर क्लियर करना चाहते हों। उसने बताया कि उसकी मदद से 12 के आसपास लोगों ने एग्जाम क्लियर भी किया। लेकिन जब से बायोमेट्रिक सिस्टम आया तो उन लोगों दिक्कत होने लगी थी। फिर बाद में उन्हें अभिषेक मिला।