रफाल सौदे के बारे में जब उनसे पूछा गया कि इसमें 30,000 करोड़ रुपए का ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट है। यह कॉंट्रैक्ट अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाने के लिए दिलाया गया है। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है। मुझे लगता है कि लोगों को गलत जानकारी दी गई है। इसमें ऑफसेट के नाम पर 30,000 करोड़ की बात नहीं है। क्योंकि फ्रांस की कंपनी दास्सू सिर्फ 6,500 करोड़ रुपए का ही कॉन्ट्रैक्ट रिलाएंस को देगी।
जब उनसे पूछा गया कि फ्रैंच मीडिया में कहा जा रहा है कि अनिल अंबानी की कंपनी को फायदा पहुंचाया गया है। इस पर उन्होंने कहा कि जो डील 2008 में की जा रही थी, ये उससे कई ज्यादा अच्छी डील है। चाहे वो दाम हो या फिर अन्य चीज़ें हों। इसमें हमें अच्छी तकनीक, मेंटेनेंस सबकुछ मिल रही है। वायुसेना के उप प्रमुख शिरीष बबन देव ने भी इस डील की तारीफ की। उन्होंने कहा कि राफेल का प्रोडक्शन शुरू हो चुका है। इससे सिर्फ राफेल ही नहीं बल्कि किसी भी जहाज का पुर्जा बनाया जा सकता है। देव ने बताया कि अंनिल अंबानी को ठेका देने की बात कमर्शियल है, जो फ्रैंच कंपनी है उनको पता है कि ये ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट है। अब उसे कैसे सर्विस करना है, किसके पास जाना है। इस पर सरकार दबाव नहीं डाल सकती है। उन्होंने कहा कि रफाल सौदे पर विवाद से किसी का नुकसान हो या न हो वायुसेना का नुकसान जरूर होगा। और हमें किसी भी कीमत पर राफेल चाहिए।
आपको बता दें कि वायुसेना के उप प्रमुख रघुनाथ नांबियार ने फ्रांस में पहली भारतीय रफाल लड़ाकू विमान पर उड़ान भरी थी। आधुनिकतम सुविधाओं से लैस इस लड़ाकू विमान की पहली खेप अगले साल सितंबर में भारत आ सकती है। इसके उलट इस सौदे को लेकर कांग्रेस पार्टी लगातार आरोप लगा रही है कि मोदी सरकार ने इसमें भ्रष्टाचार किया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस मुद्दे पर कई बार प्रेस कॉफ्रेंस कर चुके हैं।