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वायु सेना के पास न पूरे लड़ाकू विमान, न ही पायलट : समिति

वायु सेना लड़ाकू विमानों के स्कवैड्रन
के मामले में तो पिछड़ ही रही है उसका पायलट -कॉकपिट अनुपात भी स्वीकृत संख्या से
कम है

May 03, 2015 / 01:22 pm

जमील खान

Indian Air Force

Indian Air Force

नई दिल्ली। चीन और पाकिस्तान जैसे प्रतिद्वंद्वी देशों से घिरे भारत की वायु सेना लड़ाकू विमानों की कमी का तो सामना कर ही रही है, इन्हे उड़ाने के लिए उसके पास पायलट भी पूरे नहीं हैं। रक्षा मंत्रालय से संबद्ध संसद की स्थायी समिति ने हाल ही में दोनों सदनों में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वायु सेना लड़ाकू विमानों के स्कवैड्रन के मामले में तो पिछड़ ही रही है उसका पायलट -कॉकपिट अनुपात भी स्वीकृत संख्या से कम है। उसके पास हर विमान के लिए एक-एक पायलट भी नहीं हैं।

वायु सेना के लड़ाकू विमानों के लिए पायलट-कॉकपिट अनुपात की स्वीकृत संख्या 1.25:1 है यानि हर एक विमान के लिए 1.25 पायलट होने चाहिए। लेकिन, अभी यह एक से भी कम यानि 0.81 है। परिवहन विमानों के लिए स्वीकृत अनुपात 1.5 और हेलीकॉप्टरों के लिए 1 पायलट का है।

रिपोर्ट के अनुसार लड़ाकू विमानों के पायलटों की संख्या के मामले में चीन और पाकिस्तान दोनों भारत से आगे हैं। अमरीका में यह अनुपात 2:1 और पाकिस्तान में 2.5:1 है। यदि भारत को फ्रांस से हुए समझौते के तहत अगले दो वर्षो में 36 राफाल विमान मिल जाते हैं तो यह अनुपात और कम हो जाएगा। समिति का यह भी मानना है कि विमान दुर्घटनाओं की बढ़ती घटनाओं का एक कारण यह भी हो सकता है।

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