पूर्व कांग्रेसी नेता एमएम कृष्णा ने खोला बड़ा राज, कहा- कई फैसले मनमोहन सिंह को बिना बताए लिए जाते थे
दरअसल, प्रोफेसर प्रकाश घोष और उनकी टीम ने एक ऐसा माइक्रोबियल फ्यूल सेल बनाया है, जिससे कचरे से निकलने वाले खतरनाक लिक्विड से बिजली बनाई जा सकती है। आपको बता दें कि जहां भी कचरा जमा किया जाता है वहां डंपिंग ग्राउंड्स में एक काले रंग का लिक्विड गिरता दिखाई देता है। इस लिक्विड को लीचेट कहा जाता है। ये लीचेट वैसे तो जमीन और जमीन के नीचे मौजूद पानी के लिए ठीक नहीं है। लेकिन इस लिक्विड में कई जैविक और अकार्बनिक तत्व पाए जाते हैं। यह तत्व ऊर्जा के उत्पादन में मदद करते हैं। इस तरह के लीचेट में कई तरह के बैक्टीरिया भी पाए जाते हैं।
कैसे बनाई बिजली
प्रोफेसर प्रकाश और उनकी टीम ने अपनी बनाई माइक्रोबियल फ्यूल सेल में नाले के पानी या इस लीचेट को पाइप के सहारे डाला। इसके बाद लीचेट में पहले से मौजूद बैक्टेरिया आर्गेनिक तत्वों को अपने आप खाने लगता है। इस दौरान नेगेटिव और पॉजिटिव पार्टिकल्स पैदा होते हैं, जो इलेक्कट्रोन इकट्टा करने लगते हैं। इसके बाद ये दोनों पार्टिकल्स अपने विपरित आवेश वाले अंत की और आगे बढ़ते है और बस इसी से ऊर्जा यानी इलेक्ट्रिसिटी बनती है।
इस माइक्रोबियल फ्यूल के निर्माण के लिए प्लैटिनम लिप्त कार्बन चूर्ण के साथ लीचेट कार्बन कागज का उपयोग किया गया और पॉजिटिव टर्मिनल के लिए एक्रेलिक और ग्रेफाइट का इस्तेमाल किया गया है।
NIA ने की जांच शुरू, आतंकी फंडिंग वाले मस्जिदों व मदरसों की संपत्ति पर गिर सकती है गाज
बिजली से LED लाइट जलाई गई
वहींं, प्रोफेसर प्रकाश घोष और उनकी टीम ने 18 माइक्रोबियल फ्यूल सेल का बड़ा सिस्टम भी बनाया जिसमें कुल 12 V बिजली बनी है। इस बिजली से एक LED लाइट को भी जलाया गया था। इस बारे में प्रोफेसर प्रकाश घोष ने कहा, ‘कचरे से उर्जा का उत्पादन करना यह किसी के सोच से भी परे की बात है। उन्होंने कहा कि इस तरह से बिजली बनाना बेहद चौंकाने वाले और उत्साह भरने वाले हैं, अब हमें इनके व्यवसायिक उत्पादन और उसके आर्थिक पहलू पर भी काम करने की जरूरत है, जिससे सस्ती ऊर्जा भारत के लोगों को दी जा सके।’