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दिल्‍ली सरकार में मंत्री गोपाल राय के आवास पर चला बुलडोजर, अब होगी कांत इंक्‍लेव पर कार्रवाई

locationनई दिल्लीPublished: Sep 25, 2018 06:25:27 pm

Submitted by:

Mazkoor

सुप्रीम कोर्ट ने 11 सितंबर-2018 को कांत एन्क्लेव में 1992 के बाद बने निर्माणों को 31 दिसंबर तक तोड़ने का आदेश दिया है।

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दिल्‍ली सरकार में मंत्री गोपाल राय के आवास पर चला बुलडोजर, अब होगी कांत इंक्‍लेव पर कार्रवाई

नई दिल्ली : दिल्ली-एनसीआर में अतिक्रमण और अवैध निर्माण को लेकर हाल-फिलहाल में अदालत का रवैया काफी सख्‍त हो गया है। इसकी वजह यह है कि पूरी दिल्‍ली में अवैध निर्माणों का जोर है। क्‍या मंत्री, क्‍या आम आदमी, हर कोई अतिक्रमण और अवैध निर्माण में शामिल है। यही वजह है कि अदालत के आदेश के बाद मचे काफी हंगामे के बाद दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय का घर गिरा दिया गया है। उनका यह मकान राजनिवास मार्ग पर स्थित था। भाजपा नेता प्रवीण कपूर ने इसकी तस्‍वीर भी सोशल मीडिया पर डाली है, जो वायरल हो रही है।

प्रवीण कपूर ही लाए थे इस मामले को सामने
बता दें कि भाजपा नेता प्रवीण शंकर कपूर ने ही गोपाल राय के इस मकान की तस्‍वीर सोशल मीडिया पर डाली थी और आरोप लगाया था कि यह निर्माण भूमि का अतिक्रमण कर किया गया है। इसके बाद निगम ने इसकी जांच की तो यह आरोप सही पाया गया।

अब वन विभाग की जमीन पर बने इस बिल्डिंग पर चलेगा बुलडोजर
इसके बाद हरियाणा के फरीदाबाद में बने कांत इंक्‍लेव पर बुलडोजर चलेगा। बता दें कि यह बिल्डिंग वन विभाग की जमीन पर बनी हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि 1992 के बाद बने सारे अवैध निर्माण को गिरा दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि अवैध निर्माण गिराने के बाद वन विभाग की यह जमीन उन्‍हें वापस कर दी जाए। कोर्ट ने यह भी कहा था कि इस अवैध निर्माण के कारण अरावली हिल के आस-पास पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचा है। इसलिए इस पर तुरत कार्रवाई की जाए।

सरकार ने मांगा स्‍टेट्स रिपोर्ट
बता दें कि कांत इंक्‍लेव में बने बिल्डिंगों का स्‍टेट्स रिपोर्ट सरकार ने मांगा है। उसने इस बिल्डिंग को ढहाने का निर्णय ले लिया है। मिली जानकारी के अनुसार, यहां करीब 43 निर्माणों पर कार्रवाई होगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 सितंबर-2018 को कांत एन्क्लेव में 1992 के बाद बने निर्माणों को 31 दिसंबर तक तोड़ने का आदेश दिया है। इस वजह से मुख्य सचिव ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि 1992 से पहले बने किसी निर्माण को न छेड़ा जाए और एक हफ्ते के भीतर इसकी पूरी स्टेटस रिपोर्ट सबमिट की जाए।

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