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IMA जानबूझकर आयुर्वेद को नीचा दिखाना चाह रहा है: CISSA

तिरूवनन्तपुरम। सेंटर फॉर इनोवेशन इन साइंस एंड सॉशल एक्शन(सीआईएसएसए) ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन(आईएमए) पर आरोप लगाया है कि वह जानबूझकर आयुर्वेद को नीचा दिखाने का प्रयास कर रहा है। सीआईएसएसए अध्यक्ष डॉ. जीजी गंगाधरन ने बयान जारी कर कहाकि आईएमए ने सरकार को आयुर्वेद जैसी अन्य दूसरी प्रणालियों को मुख्यधारा में लाने से परहेज करने […]

Mar 22, 2015 / 01:35 pm

शक्ति सिंह

तिरूवनन्तपुरम। सेंटर फॉर इनोवेशन इन साइंस एंड सॉशल एक्शन(सीआईएसएसए) ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन(आईएमए) पर आरोप लगाया है कि वह जानबूझकर आयुर्वेद को नीचा दिखाने का प्रयास कर रहा है। सीआईएसएसए अध्यक्ष डॉ. जीजी गंगाधरन ने बयान जारी कर कहाकि आईएमए ने सरकार को आयुर्वेद जैसी अन्य दूसरी प्रणालियों को मुख्यधारा में लाने से परहेज करने की सलाह दी। आईएमए का यह रवैया संकीर्ण, बेतुका और अवैज्ञानिक है।

गंगाधरन ने सरकार द्वारा देश में सीमित संसाधन की उपलब्धता का हवाला देते हुए लोगों की स्वास्थ्य की रक्षा को बढ़ावा देने के लिये किसी वैकल्पिक प्रणाली को विकसित नहीं किए जाने संबंधी आईएमए के अभ्यावेदन की निंदा की। उन्होने कहा,”हम आयुर्वेद की वैज्ञाानिक सत्यता को प्रमाणित करने संबंधी एलॉपैथी का प्रमाण सामने आने तक अपनी पद्धति से लोगों का उपचार करना बंद नहीं कर सकते।”

उन्होंने कहाकि, एलॉपैथी ऎसा विज्ञान है जो अभी भी विकसित होने के क्रम में है। नए खोज उसकी कमियों को जाहिर करती है। 60 साल पहले तक मनोचिकित्सा के लिए एलॉपैथी में कोई उपचार नहीं था। इसमें कभी नहीं सोचा गया कि दिमाग को भी इलाज चाहिए होता है। 

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