नई दिल्ली। नाबालिग से रेप के मामले में जोधपुर जेल में बंद आसाराम को सुप्रीम कोर्ट ने चिकित्सा जांच के लिए पुलिस हिरासत में दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विग्यान संस्थान(एम्स) लाने की सोमवार को अनुमति दे दी। आसाराम ने चिकित्सा कारणों से अंतरिम जमानत की मांग की थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।न्यायमूर्ति एके सिकरी और न्यायमूर्ति एनवी रमन ने हालांकि 75 वर्षीय आसाराम का वह आग्रह खारिज कर दिया जिसमें उसने चिकित्सा जांच की अवधि के दौरान दिल्ली स्थित अपने आश्रम में ठहरने की अनुमति मांगी थी। शीर्ष अदालत का यह आदेश तब आया जब एम्स के तीन डॉक्टरों की समिति ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि आसाराम की चिकित्सा जांच के लिए जरूरी उपकरण जोधपुर जेल में नहीं हैं और उसे उचित जांच के लिए संस्थान लाए जाने की आवश्यकता है।सुनवाई के दौरान आसाराम की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन ने उसके लिए जमानत मांगी और कहा कि मीडिया को मामले में दलीलों के बारे में रिपोर्टिंग नहीं करने का निर्देश दिया जाए। इस पर पीठ ने कहा, नहीं हम ऐसा नहीं कर सकते। हमें उन पर रोक क्यों लगानी चाहिए? इसमें क्या है?शीर्ष अदालत ने बलात्कार के एक मामले में 11 अगस्त को आसाराम को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था और नियमित जमानत की उसकी याचिका पर विचार करने से पहले एम्स को उसकी स्वास्थ्य स्थिति की जांच के लिए एक मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया था।बता दें कि आसाराम को जोधपुर पुलिस ने 31 अगस्त 2013 को गिरफ्तार किया था और वह तभी से जेल में है। उच्च न्यायालय ने नौ अगस्त को आसाराम के जमानत आवेदन को खारिज कर दिया था। एक नाबालिग लड़की ने आसाराम पर आरोप लगाया था कि उसने जोधपुर के नजदीक मनाई गांव स्थित अपने आश्रम में उसका यौन शोषण किया था। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की रहने वाली लड़की एक छात्रा थी और आश्रम में रहती थी।