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बिगड़ सकता है आम आदमी के किचन का बजट, खाने के तेल पर लगने वाले टैक्स में इजाफा होने के संकेत

locationनई दिल्लीPublished: Jun 10, 2020 02:45:34 pm

Submitted by:

Soma Roy

Import Duty On Edible Oil : तिलहन के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार बना रही है खास प्लान
सरकार के मुताबिक इससे किसानों को आत्मनिर्भर बनने और नए रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी

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Import Duty On Edible Oil

नई दिल्ली। कोरोना से जूझ रहे लोगों को जल्द ही अब महंगाई की मार का भी सामना करना पड़ सकता है। एक एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार (Government of India) खाद्य तेल (Edible Oil) पर आयात शुल्क बढ़ाने पर विचार कर रही है। इससे खाने का तेल महंगा हो सकता है। जिससे आपके घर का बजट बिगड़ सकता है। आयात शुल्क (Import Duty) में बढ़ोतरी के जरिए सरकार देश में तिलहन के उत्पादन को बढ़ावा देना चाहती है। चूंकि अनलॉक 1.0 के तहत कई होटल, रेस्तरां और कैंटीन खुल गए हैं जबकि कुछ अन्य खुलने वाले हैं ऐसे में खाने का तेल महंगा होने से सबसे ज्यादा नुकसान उन्हें होगा।
मालूम हो कि कुछ समय पहले मोदी सरकार ने आत्मनिर्भर भारत की घोषणा की थी। इसी मकसद के तहत सरकार खाने के तेल की कीमतों में इजाफा करके किसानों की आय बढ़ाने में मदद करना चाहती है। सरकार का मानना है कि इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे साथ ही देश के इंपोर्ट बिल में भी कमी आएगी। इस बारे में सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के मैनेजिंग डायरेक्टर ने बताया कि सरकार ने खाद्य तेल के आयात पर अंकुश लगाने के और देश में तलहन उद्योग को बढ़ाने के लिए सलाह मांगी थी जिसके तहत हमने सुझाव भेजे हैं।
टैक्स के पैसे से तिलहन के उत्पादन को बढ़ावा
देश पाम ऑयल (Palm Oil) का आयात मलेशिया से करती है। अगर इस पर बढ़ाया जाता है तो मूल्य में वृद्धि होने के कारण उसका आयात घट जाएगा। जिससे सरसों, सोयाबीन और मूंगफली तिलहन की मांग बढ़ेगी, मांग बढ़ने के साथ इसके उत्पादन में वृद्धि होगी। सूत्रों के मुताबिक सरकार 5 प्रतिशत टैक्स में इजाफा कर सकती है। टैक्स के जरिए आए रुपयों का उपयोग तिलहन के उत्पादन को बढ़ावा देने में किया जाएगा।
सालाना 10 अरब डॉलर का आता है खर्च
देश में करीब 70 फीसदी खाने का तेल आयात किया जाता है। जिस पर सालाना लगभग 10 अरब डॉलर खर्च किया जाता है। भारत में कच्चे सरसों तेल, सोयाबीन तेल और सूरजमुखी के कच्चे तेल पर 35 फीसदी आयात शुल्क लगता है। वहीं रिफाइंड पाम ऑयल पर 37.5 फीसदी और रिफाइंड ऑयल पर 45 फीसदी का आयात शुल्क लगता है।
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