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स्वतंत्रता दिवस: जानिए, राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत में क्या अंतर है?

locationनई दिल्लीPublished: Aug 15, 2018 01:26:39 am

Submitted by:

Navyavesh Navrahi

हमारा राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत दोनों अलग-अलग हैं। क्या आप इन दोनों में अंतर को जानते हैं? अगर नहीं तो आइए हम बताते हैं…

national song

स्वतंत्रता दिवस: जानिए, राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत में क्या अंतर है?

गुलामी के खिलाफ लड़ी गई लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार 15 अगस्त, 1947 को भारत की आजादी की घोषणा की गई। इसके बाद 1950 को भारत को गणराज्य का दर्जा दिया गया। स्वतंत्रता दिवस और अन्य कई मौकों पर राष्ट्रगान “जन गण मन’ गाया जाता है। आपको बता दें, 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा ने इसे राष्ट्रगान का दर्जा दिया था। इसके बाद इसे गाने के बारे में नियम तय किए गए, जिनका पालन करना हर नागरिक का कर्त्तव्य है। इसी तरह कुछ मौकों पर राष्ट्रगीत भी गाया जाता है। पर क्या आपको पता है, इन दनों में क्या अंतर है। आइए आपको बताएं कि राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत में क्या अंतर है—
राष्ट्रगान

संविधान में राष्ट्रकवि गुरुदेव राबींद्रनाथ टैगोर के लिखे “जन गण मन’ को राष्ट्रगान का दर्जा दिया गया है। हालांकि इसे लिखे जाने को लेकर कई तरह की बातें सामने आती हैं, किंतु निर्विवाद रूप में इसे राष्ट्रगान का दर्जा प्राप्त है। जानकारी के अनुसार- इसे पहली बार 1911 में कोलकाता में कांग्रेस के एक कार्यक्रम में गाया गया था। इसमें देश के इतिहास, सभ्यता, संस्कृति और लोगों के बारे में बखान किया गया है। इसकी धुन को लेकर भी कुछ नियम हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य बनाया गया है। ऐसा न करने पर जेल और जुर्माने का प्रावधान है।
राष्ट्रगीत

हमारा राष्ट्रगीत “वंदे मातरम’ है। इसकी रचना मशहूर लेखक बंकिमचंद्र चटर्जी ने की थी। यह रचना दरअसल उनके एक नॉवेल “आनंदमठ’ का हिस्सा है, जो बंगाली भाषा में लिखा गया था। खास बात यह है कि इस गीत को “जन गण मन’ लिखने वाले राष्ट्रकवि राबींद्र नाथ टैगोर ने ही स्वरबद्ध किया था। और इसे भी पहली बार कांग्रेस के कलकत्ता में हुए राष्ट्रीय अधिवेशन में ही गाया गया था। लेकिन ये सन 1896 की बात है। इस गीत को भी 24 जनवरी 1950 को ही संविधान सभा में राष्ट्रगीत का दर्जा दिया गया था। ये देश भक्ति की भावना से ओत-प्रोत है और सारे देशवसियों को एक सूत्र में बांधने की बात कहता है। हां, इसे गाने को लेकर कोई नियम या कानून नहीं है। इसे कहीं भी और कभी भी गाया जा सकता है।
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