8 मुद्दों पर बन गई बात
जिन आठ करारों पर हस्ताक्षर किए गये उनमें परामर्श के प्रोटोकॉल को विस्तार देने, नीति आयोग और रूस के आर्थिक सहयोग मंत्रालय के बीच सहयोग, अंतरिक्ष के क्षेत्र में इसरो और रोसकास्मॉस के बीच सहयोग, रेलवे, परमाणु, परिवहन शिक्षा और लघु उद्योगों के क्षेत्रों में सहयोग के करार शामिल हैं। खाद के क्षेत्र में इंडियन पोटाश लिमिटेड और फोसएग्रो के बीच समझौते पर भी दस्तखत हुए हैं।
एस-400 मिसाइल पर थी दुनिया की नजर
बैठक के बाद पीएम मोदी और रुसी राष्ट्रपति पुतिन के बयान में एस-400 मिसाइल प्रणाली के सौदे पर कुछ नहीं कहा गया। लेकिन बाद में जारी संयुक्त बयान में इस बहुचर्चित सौदे पर अंतिम मुहर लगने की जानकारी दी गई। पीएम मोदी ने कहा कि भारत और रूस के बीच मानव संसाधन विकास से लेकर प्राकृतिक संसाधन तक, व्यापार से लेकर निवेश, नाभिकीय ऊर्जा के शान्तिपूर्ण सहयोग से लेकर सौर ऊर्जा , तकनीक से लेकर बाघ संरक्षण, सागर से लेकर अंतरिक्ष तक संबंधों को और व्यापक बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष, अफगानिस्तान तथा हिंद-प्रशांत के घटनाक्रम, जलवायु परिवर्तन, शंघाई सहयोग संगठन, ब्रिक्स जैसे संगठनों एवं जी-20 तथा आसियान जैसे संगठनों में सहयोग करने में हमारे दोनों देशों के साझा हित हैं। हम अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में अपने लाभप्रद सहयोग को जारी रखने पर सहमत हुए हैं। उन्होंने कहा कि भारत- रूस मैत्री अपने आप में अनूठी है। इस विशिष्ट रिश्ते के लिए पुतिन की व्यक्तिगत प्रतिबद्धता से इन संबंधों को और भी ऊर्जा मिलेगी।
क्या थी अमरीका की धमकी
बता दें कि अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि अगर भारत रूस के साथ हथियार खरीदता है तो उसे आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा। ट्रंप सरकार का ‘काट्सा’ यानी ‘काउंटरिंग अमेरिका एडवसरिज थ्रू सेंक्शंस एक्ट‘ प्रभावी होने के बाद ‘एस-400’ मिसाइल सौदे पर कई कयास लगाए जा रहे थे। ये कानून जनवरी में प्रभावी हो गया था। इस कानून में प्रावधान है कि यदि कोई भी देश रूस, ईरान या उत्तर कोरिया से हथियारों की खरीद करता है तो उसे अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा।