यह वार्ता 14 कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और दक्षिण शिनजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के प्रमुख मेजर जनरल लियू लिन के बीच बीते 6 जून को पूर्वी लद्दाख में चुशुल-मोल्दो सीमा पर सैन्यकर्मियों की बैठक (बीपीएम) की तर्ज पर हो रही है।
दोनों देशों के सैन्य प्रतिनिधियों के बीच यह बैठक चौथी बार हो रही है। इससे पहले आयोजित ऐसी तीसरी बैठक तकरीबन 12 घंटे तक चली थी। दरअसल, दोनों देश भारत-चीन के सीमावर्ती क्षेत्रों में तनावपूर्ण स्थिति को कम करने के लिए सैन्य और राजनयिक विचार-विमर्श में लगे हुए हैं।
इससे पहले दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच शुक्रवार को कूटनीतिक बैठक हुई थी। भारत-चीन सीमा मामलों (डब्ल्यूएमसीसी) पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य प्रणाली तंत्र की बैठक बीते 10 जुलाई को हुई थी। इस बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) ने किया था। जबकि चीनी विदेश मंत्रालय के सीमा एवं महासागरीय विभाग के महानिदेशक ने चीनी प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई की थी।
गौरतलब है कि बीते 15 जून को गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। हालांकि चीन ने अभी तक आधिकारिक रूप से अपने मारे गए सैनिकों की संख्या का खुलासा नहीं किया है।
बता दें कि दशकों में LAC पर सबसे गंभीर संकट के बाद भारत सेना को पीछे करने की प्रक्रिया में बड़ी सावधानी के साथ आगे बढ़ रहा है। सीमा मुद्दे पर भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी जैसे विशेष प्रतिनिधियों की रविवार को फोन पर बातचीत के बाद दोनों पक्षों के सैनिकों ने एलएसी के प्रमुख तनाव क्षेत्रों पर खुद को सीमित ढंग से पीछे कर लिया है। दोनों प्रतिनिधि सहमत थे कि द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए सीमा पर शांति और स्थिरता जरूरी है।