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‘फानी’ की ही तरह ‘वायु’ को भी निपटा दिया

locationनई दिल्लीPublished: Jun 14, 2019 07:21:27 pm

Submitted by:

Kaushlendra Pathak

‘फानी और वायु’ तूफान से निपटने के लिए जबरदस्त थी तैयारी
पुख्ता तैयारी से दोनों तूफानों में जान-माल का ज्यादा नुकसान नहीं
एनडीआरएफ, सरकार, सेना की तैयारी आई काफी काम

NDRF and Government preparedness from Cyclone Fani and Vayu
नई दिल्ली। अरब सागर से होते हुए पाकिस्तान के रास्ते भारत पहुंचा चक्रवाती तूफान ‘वायु’ अब ओमान की ओर निकल चुका है। देश से बड़ा खतरा टल चुका है। हालांकि, गुजरात में अब भी अलर्ट जारी है। लेकिन, मौसम विभाग और सरकार की तैयारी ने चक्रवाती तूफान ‘फानी’ की तरह ‘वायु’ को भी निपटा दिया है। दोनों ही चक्रवाती तूफानों से देश में किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ और समय रहते ही प्रभावित इलाकों से जान-माल को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया।
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मौसम विभाग ने 11 जून को चक्रवाती तूफान वायु को लेकर रेड अलर्ट जारी किया था। विभाग ने गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ के लिए 12 जून को भारी बरसात की पीली और 13 जून को लाल रंग की चेतावनी जारी की थी।
वहीं, दक्षिणी गुजरात क्षेत्र के लिए भी 12 और 13 जून को चेतावनी जारी की थी। मौसम विभाग जब पीले रंग की चेतावनी जारी करता है तो उसका अर्थ हर घटना से अपडेट रहना होता है, नारंगी चेतावनी का अर्थ किसी भी स्थिति से निपटने की तैयारी और रेड अलर्ट का अर्थ बिना समय गंवाए सुरक्षित जगह पर पहुंचना होता है।
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मौसम विभाग के मुताबिक चक्रवाती तूफान वायु की वजह से जिन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा हानि हो सकती थी, उनमें गुजरात के कच्छ, देवभूमि द्वारका, पोरबंदर, जूनागढ़, दीव, गिर सोमनाथ, अमरेली और भावनगर जिले शामिल थे। मौसम विभाग के इस अलर्ट के बाद सरकार और प्रशानस इस आपदा से निपटने की तैयारी में जुट गए थे।
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‘वायु’ को लेकर थी इतनी बड़ी तैयारी

गुजरात के तटीय इलाकों खासकर पोरबंदर और जामनगर में ‘वायु’ को लेकर बड़ा खतरा था। भारतीय मौसम विभाग ने दीव में भूस्खलन की आशंका भी जताई थी। कयास लगाया जा रहा था कि गुरुवार को ‘वायु’ तूफान इन इलाकों से टकरा सकता है। इस जानकारी के बाद सरकार से लेकर थल सेना, वायु सेना और तटरक्षक दल पूरी तरह एक्टिव हो गए थे और समय रहते सभी ने इस प्रलय से निपटने की पूरी तैयारी कर ली थी।
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तीन लाख लोगों सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया

मौसम विभाग ने ‘वायु’ को गंभीर श्रेणी का तूफान माना था। विभाग ने इस तूफान के तट पर टकराते समय हवा की रफ़्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटा होने का अनुमान लगाया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए समय रहते सरकार और प्रशासन ने पूरी तैयारी की थी। तूफान के आने से पहले ही तटीय इलाकों से तीन लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया था।
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ऐसी थी तैयारी

– एनडीआरएफ की 52 टीमें तैनात की गई थीं।
– एसडीआरएफ की 9 टीमों की तैनाती थी।
– एसआरपी की 14 कंपनियां लगी हुई थीं।
– 300 मरीन कमांडो को लगाया गया था।
– 9 हेलिकॉप्टर तैनात किए गए थे।
हेल्पलाइन नंबर किया गया था जारी

लोगों की मदद के लिए जिला प्रशासन और एनडीआरएफ ने हेल्पलाइन नंबर जारी किए थे। एनडीआरएफ का हेल्पलाइन नंबर- 91-9711077372 था। तूफान प्रभावित जिलों के लिए भी हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए थे।
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500 गांवों को खाली कराया गया था

राज्य सरकार ने गुजरात के तटीय इलाकों के 500 गांवों को खाली कराया था। 10 हजार पर्यटकों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया था। गुजरात के कई जिलों में स्कूलों को दो दिन के लिए बंद कर दिया गया था। जबकि सरकारी अफसरों को छुट्टियां रद्द कर दी गई थीं।
‘वायु’ के खतरे को देखते हुए कई ट्रेनों को भी रद्द कर दिया गया था। प्रभावित होने वाले इलाकों पर सरकार और प्रशासन की नजरें लगातार टिकी हुई थी। हालांकि, वायु केवल द्वारका के तटीय इलाकों को छू कर निकल गया।
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‘फानी’ को लेकर भी थी जबरदस्त तैयारी

अप्रैल के आखिरी में ओडिशा में आए फानी तूफान से जान-माल का थोड़ा नुकसान तो हुआ था। लेकिन, राज्य सरकार और प्रशासन की जबरदस्त तैयारी ने बड़ी त्रासदी को रोक लिया। समय रहते ओडिशा सरकार ने बड़ा राहत अभियान चलाते हुए 11 लाख से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया था।
ओडिशा सरकार ने लोगों को सचेत करने में और सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में अपनी पूरी मशीनरी झोंक दी थी। तूफान से पहले करीब 26 लाख टेक्स्ट मैसेज भेजे गए, 43 हजार वॉलंटियर्स, 1000 आपातकालीन कर्मी, टीवी पर विज्ञापन, तटीय इलाकों में लगे साइरन, बसें, पुलिस अधिकारी और सार्वजनिक घोषणा जैसे तमाम उपाय राज्य सरकार ने किए थे।
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880 विशेष शिविरों समेत करीब 4000 आश्रय स्थलों में तटीय और निचले इलाकों से बचाकर लाए गए लोगों को रहने-खाने की व्यवस्था की गई थी। स्कूल से लेकर हवाई अड्डे तक बंद कर दिए गए थे, परिवहन पर रोक लगा दी गई थी।
करीब 220 किमी/घंटा की रफ्तार से चली हवाओं के कारण बस, कार, क्रेन, पेड़ कुछ भी तूफान के आगे नहीं टिक पाया। लेकिन जिस तरह की तबाही थी उस तरह जान-माल का नुकसान नहीं हुआ।
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– फानी के लिए NDRF की 65 टीमें तैनात की गई थीं।
– एक टीम में 45 लोग शामिल थे।
– नौसेना ने राहत कार्यों के लिए 6 जहाजों को तैनात किया था।
– मेडिकल और डाइविंग टीम अलर्ट पर थीं।
– भारतीय वायुसेना ने दो सी-17, दो सी-130 और चार एएन-32 विमानों को स्टैंडबाय पर रखा था।
फानी को लेकर इतनी बड़ी तैयारी के लिए भारत की दुनियाभर में तारीफ हुई। इतनी बड़ी तैयारी से चक्रवाती तूफान ‘वायु और फानी’ को ‘मौत का मंजर’ बनने से भारत ने आखिरकार रोक ही लिया।

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