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भारत को मिली ऑस्ट्रेलियन ग्रुप की मेंबरशिप, NSG के लिए दावेदारी हुई और मजबूत

Published: Jan 19, 2018 08:48:35 pm

Submitted by:

Kapil Tiwari

इस कामयाबी के बाद भारत की NSG में शामिल होने की दावेदारी और मजबूत हो गई है।

India Join Australian Group

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नई दिल्ली: शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को एक बड़ी कामयाबी मिली है। दरअसल, पिछले काफी समय से न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप में एंट्री लेने के लिए संघर्ष कर रहे भारत को इससे जुड़े निर्यात नियंत्रक संगठन ऑस्ट्रेलिया ग्रुप में शामिल कर लिया गया है। इस कामयाबी के बाद भारत की NSG में शामिल होने की दावेदारी और मजबूत हो गई है।
NSG का सिमिलर ही माना जाता है ये ग्रुप
आपको बता दें कि भारत को जिस ऑस्ट्रेलिया ग्रुप में शामिल किया गया है, उसका उद्देश्य काफी हद तक न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप के जैसा ही। ऑस्ट्रेलियाई ग्रुप का उद्देश्य रासायनिक और जैविक हथियारों के विकास और अधिग्रहण को रोकना ही है। ये ग्रुप एनएसजी और एमटीसीआर के बाद तीसरा ऐसा ग्रुप है जो परमाणु हथियारों के प्रसार और उनके भंडार को रोकता है। भारत का इस ग्रुप में शामिल हो जाना एक बड़ी कामयाबी और वो अब परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में शामिल होने के और करीब पहुंच गया है।
एनएसजी के लिए मजबूत हुई भारत की दावेदारी
42 सदस्यों के इस ऑस्ट्रेलियन ग्रुप की प्रेस रिलीज में कहा गया है कि जून 2017 में एक मीटिंग में भारत की सदस्यता के लिए बहुत मजबूत समर्थन मिला था। इसके बाद से ही संस्था भारत को इस ग्रुप का सदस्य बनाने के लिए तैयार हो गई थी। इससे पहले भारत इससे जुड़े दो अन्य संगठनों वासेनार अरेंजमेंट और मिसाइल टेक्नॉलोजी कंट्रोल रिजीम (एमटीसीआर) क्लब में पहले ही शामिल हो चुका है। ऐसे में एनएसजी में भारत के प्रवेश पर वीटो लगाने वाले चीन पर जहां कूटनीतिक दबाव बढ़ेगा, वहीं भारत को एनएसजी सदस्य देशों से सीधा संवाद स्थापित करने का बड़ा कूटनीतिक मौका हासिल होगा।
चीन ने डाला था NSG की सदस्यता में अड़ंगा
आपको बता दें कि भारत के साथ-साथ NSG में में शामिल होने के लिए पाकिस्तान भी पिछले काफी समय से दावेदारी कर रहा है। जहां एक तरफ अमरीका और दुनिया के अन्य देश इसके लिए भारत का समर्थन करते हैं तो वहीं चीन हमेशा से ही पाकिस्तान का समर्थन करता आया है। चीन ने भारत द्वारा परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर न करने को मुख्य मुद्दा बनाते हुए उसके एनएसजी में प्रवेश की राह में अड़ंगा डाल दिया था। कूटनीतिक चाल चलते हुए चीन ने यह भी तर्क दिया था कि अगर बगैर एनपीटी भारत को एनएसजी की सदस्यता दी जा सकती है तो इस क्लब में पाकिस्तान को भी शामिल करना चाहिए।
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