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प्रोजेक्ट टाइगर: देश में बाघों के संरक्षण के लिए इस तरह बनाए गए अभ्यारण्य

Published: Oct 04, 2020 02:16:29 pm

रायल बंगाल टाइगर्स को बचाने के लिए वर्ष 1973 में लॉन्च किया गया था प्रोजेक्ट टाइगरपूरे देश के अलग-अलग राज्यों में बाघ अभ्यारण्य बनाए गए हैं जहां उनका संरक्षण किया जाता है

project tiger

देश में बाघों की घटती संख्या को देखते हुए वर्ष 1973 में भारत सरकार की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रोजेक्ट टाइगर लॉन्च किया था। प्रोजेक्ट टाइगर के तहत देश में बाघों के संरक्षण को बढ़ावा दिया गया। प्रोजेक्ट टाइगर का उद्देश्य था, रॉयल बंगाल बाघों को उनका प्राकृतिक आवास उपलब्ध कराना तथा उन्हें शिकार व अन्य दुर्घटनाओं से बचा कर उनकी रक्षा करना। इस उद्देश्य के तहत बाघों तथा मानव के बीच के संघर्ष को भी कम करना था।

ऐसे शुरु हुआ प्रोजेक्ट टाइगर
सरकार ने बाघों के संरक्षण के लिए देश के अलग-अलग राज्यों में 8 अभ्यारण्य निर्मित किए। इनमें शिवालिक-तिराई, नॉर्थ-ईस्ट, सुंदरबन, वेस्टर्न घाट, ईस्टर्न घाट, सेन्ट्रल इंडिया, सरिस्का तथा काजीरंगा मुख्य हैं। यहां पर बाघों को लाकर बसाया गया तथा उनकी सुरक्षा के इंतजाम किए गए। जंगल में खाद्य श्रृंखला बनाए रखने के लिए जंगल में अन्य हिरण, चीतल, नीलगाय जैसे अन्य जानवर भी बसाए गए जो बाघों का आहार हैं।

इन अभ्यारण्यों में सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाते हैं साथ ही इस बात का भी इंतजाम किया गया है कि आम आदमी अथवा शिकारी यहां अनधिकृत रूप से घुस कर जंगली जीवों को परेशान न करें। शिकारियों की पहचान कर उन्हें शिकार से रोका गया। जंगल पर निर्भर रहने वाले ग्रामीणों तथा जंगली जनजातियों को भी सुरक्षित आवास देने का प्रयास किया गया। सरकार के इन सभी प्रयासों से देश में बाघों की संख्या बढ़ी। आज से तीन-चार दशक पहले तक पूरे भारत में जहां कुछ ही बाघ बचे थे, आज उनकी संख्या सैकड़ों में पहुंच चुकी है।

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