ऐसे शुरु हुआ प्रोजेक्ट टाइगर
सरकार ने बाघों के संरक्षण के लिए देश के अलग-अलग राज्यों में 8 अभ्यारण्य निर्मित किए। इनमें शिवालिक-तिराई, नॉर्थ-ईस्ट, सुंदरबन, वेस्टर्न घाट, ईस्टर्न घाट, सेन्ट्रल इंडिया, सरिस्का तथा काजीरंगा मुख्य हैं। यहां पर बाघों को लाकर बसाया गया तथा उनकी सुरक्षा के इंतजाम किए गए। जंगल में खाद्य श्रृंखला बनाए रखने के लिए जंगल में अन्य हिरण, चीतल, नीलगाय जैसे अन्य जानवर भी बसाए गए जो बाघों का आहार हैं।
इन अभ्यारण्यों में सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाते हैं साथ ही इस बात का भी इंतजाम किया गया है कि आम आदमी अथवा शिकारी यहां अनधिकृत रूप से घुस कर जंगली जीवों को परेशान न करें। शिकारियों की पहचान कर उन्हें शिकार से रोका गया। जंगल पर निर्भर रहने वाले ग्रामीणों तथा जंगली जनजातियों को भी सुरक्षित आवास देने का प्रयास किया गया। सरकार के इन सभी प्रयासों से देश में बाघों की संख्या बढ़ी। आज से तीन-चार दशक पहले तक पूरे भारत में जहां कुछ ही बाघ बचे थे, आज उनकी संख्या सैकड़ों में पहुंच चुकी है।