मंत्रालय ने आगे कहा, “भारत में चलाया जा रहा कोई भी ऑपरेशन देश के कानून के अधीन है। दिशानिर्देशों का पालन करने से वाट्सएप का इनकार करना, स्पष्ट रूप से उन उपायों की अवहेलना करना है, जिनके इरादे पर निश्चित रूप से संदेह नहीं किया जा सकता है।”
सरकार ने कहा कि वाट्सएप द्वारा भारत के मध्यस्थ दिशानिर्देशों को निजता के अधिकार के विपरीत चित्रित करने का
प्रयास “गुमराह” करने वाला है। “इसके विपरीत, भारत में, गोपनीयता एक मौलिक अधिकार है जो उचित प्रतिबंधों के अधीन है। इस तरह के प्रतिबंध का उदाहरण नियम 4 (2) (मूल या पहल करने वाले का पता लगाने के लिए) है।”
प्रयास “गुमराह” करने वाला है। “इसके विपरीत, भारत में, गोपनीयता एक मौलिक अधिकार है जो उचित प्रतिबंधों के अधीन है। इस तरह के प्रतिबंध का उदाहरण नियम 4 (2) (मूल या पहल करने वाले का पता लगाने के लिए) है।”
केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि वाट्सएप को किसी विशेष मैसेज के मूल (ओरिजिन) का खुलासा करने की आवश्यकता नहीं है, सिवाय ऐसे मामले में जब ऐसा संदेश (मैसेज) भारतीय राज्य की संप्रभुता और गरिमा से संबंधित एक बहुत ही गंभीर अपराध की सजा की रोकथाम/जांच के लिए आवश्यक हो।
इसमें आगे कहा गया है कि संदेशों की जानकारी की जरूरत तब हो सकती है जब उन विदेशी राज्यों की सुरक्षा की बात आती है, जिनके साथ भारत का ‘मैत्रीपूर्ण संबंध’ है, या “सार्वजनिक व्यवस्था या उकसाना और उपरोक्त से संबंधित अपराध या बलात्कार के संबंध में, यौन सामग्री या बाल यौन शोषण सामग्री” से जुड़ा मामला हो।
यह कहते हुए कि ब्रिटेन, अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा को कानूनी अवरोधन की अनुमति देने के लिए सोशल मीडिया फर्मों की जरूरत है, बयान में आगे कहा गया कि “भारत जो मांग रहा है वह कुछ अन्य देशों की मांग की तुलना में काफी कम है।”
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारत सरकार मानती है कि निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है और अपने सभी नागरिकों के लिए इसे सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखना और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है।
वाट्सएप को आश्वस्त करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत द्वारा प्रस्तावित उपायों में से कोई भी किसी भी तरह से मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के सामान्य कामकाज को प्रभावित नहीं करेगा और आम यूजर्स के लिए भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। आईटी मंत्रालय ने आगे कहा कि निजता के अधिकार सहित कोई भी मौलिक अधिकार पूर्ण नहीं है और यह उचित प्रतिबंध के अधीन है।
मध्यस्थ दिशानिर्देशों के अनुसार, सबसे पहले सूचना जारी करने वाले का पता केवल उस परिदृश्य में लगाया जा सकता है, जहां अन्य उपाय अप्रभावी साबित हुए हों, जिससे इसे अंतिम उपाय बना दिया गया हो। इसके अलावा, ऐसी जानकारी केवल कानून द्वारा स्वीकृत प्रक्रिया के अनुसार ही मांगी जा सकती है जिससे पर्याप्त कानूनी सुरक्षा उपायों को शामिल किया जा सके।
केंद्र की यह प्रतिक्रिया वाट्सएप द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय में सरकार के नए डिजिटल नियमों को चुनौती देते हुए एक मुकदमा दायर करने के बाद आई है, जिसमें तर्क दिया गया है कि कंपनी को एन्क्रिप्टेड मैसेज तक पहुंच प्रदान करने की आवश्यकता गोपनीयता सुरक्षा को तोड़ देगी।