दरअसल कोविड-19 के कारण लागू किए गए लॉकडाउन की वजह से रेलवे की इस परियोजना पर काम कर रहा कार्यबल 40 हजार से घट कर सिर्फ 15 हजार रह गया है। ऐसे में रेलवे ने इन कामगारों को वापस लाने की तैयारी में है।
बीजेपी सांसद को अलॉट हुआ प्रियंका गांधी का दिल्ली वाली घर, जानें क्यों इसी नेता को मिला लोधी एस्टेट वाला बंगला देशभर में कोरोना वायरस संकट के बढ़ने के चलते लगाए गए लॉकडाउन ने रेलवे को भी खासा प्रभावित किया है। यही वजह है कि लॉकडाउन पीरियड में रेलवे के कई कामगार घर लौट गए हैं, जिससे उनकी महत्वाकांक्षी योजनाएं अटकी पड़ी हैं।
अब इन परियोजना की क्रियान्वयन एजेंसी द डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कार्पोरेशन लिमिटेड ( DFCCIL ) कामगारों को लगातार वापस लाने में जुटी है। इसके लिए राज्य सरकारों से भी बात की जा रही है। अब तक डीएफसीसीआईएल 7,000 श्रमिकों को वापस लाने में सफल रही है। इससे इसके कार्यस्थलों पर श्रमिकों की संख्या 15 हजार से बढ़ कर 22 हजार हो गई है।
डीएफसीसीआईएल इन श्रमिकों को बसों का इंतजाम कर और ट्रेनों के जरिये लाई है। साथ ही एजेंसी ने श्रमिकों की वापसी सुविधाजनक बनाने के लिए जिला प्रशासन को पत्र भेजे और ठेकेदारों के लिए ई-पास के भी इंतजाम किये हैं।
तेजी से बदल रही मानसून की चाल, देश के कई राज्यों में अगले कुछ घंटों में भारी बारिश का जारी हुआ अलर्ट, जानें अपने इलाके का हाल मिली जानकारी के मुताबिक अब वापस लाए गए सात हजार श्रमिकों में से 3250 अत्यंत कुशल श्रेणी के कामगार हैं। ये श्रमिक विद्युतीकरण, मास्ट कास्टिंग, पटरी के कार्य, अत्याधुनिक मशीनें चलाने के लिए हैं। अधिकारियों के मुताबिक ये काम स्थानीय श्रमिकों की ओर से नहीं किए जा सकते हैं।
इन इकाइयों में हुई श्रमिकों की वापसी
अधिकारियों के मुताबिक करीब 1,250 कुशल श्रमिक डीएफसी परियोजना की मुगलसराय इकाई में वापस आ गए हैं, 500 मुंबई की दो इकाइयों में, 300 जयपुर इकाई में, 400 नोएडा इकाई में और 800 से अजमेर इकाई में आये हैं।