रात में भी करेगा सटीक निगरानी
चीन सीमा हो या फिर पाकिस्तान सीमा, हर जगह रात में निगरानी करना बड़ी चुनौती होता है। ऐसे में ये ड्रोन रात में बेहतरीन फोटो उपलब्ध करवाएगा। वहीं ये हाई एल्टीट्यूड ड्रोन बेहतर इंटेलीजेंस और सर्विलांस उपलब्ध करवाने में मदद करेगा। वहीं ड्रोन के डेवलपर ने बताया कि जरूरत पड़ने पर ये ड्रोन आपदा के वक्त, होमलैंड सिक्योरिटी और स्मार्ट सिटी मैनेजमेंट में भी मदद करेगा। इसके साथ ही इसका इस्तेमाल ट्रैफिक मैनेजमेंट और रेलवे के लिए भी किया जा सकता है।
चीन सीमा हो या फिर पाकिस्तान सीमा, हर जगह रात में निगरानी करना बड़ी चुनौती होता है। ऐसे में ये ड्रोन रात में बेहतरीन फोटो उपलब्ध करवाएगा। वहीं ये हाई एल्टीट्यूड ड्रोन बेहतर इंटेलीजेंस और सर्विलांस उपलब्ध करवाने में मदद करेगा। वहीं ड्रोन के डेवलपर ने बताया कि जरूरत पड़ने पर ये ड्रोन आपदा के वक्त, होमलैंड सिक्योरिटी और स्मार्ट सिटी मैनेजमेंट में भी मदद करेगा। इसके साथ ही इसका इस्तेमाल ट्रैफिक मैनेजमेंट और रेलवे के लिए भी किया जा सकता है।
तकनीकी खराबी के चलते चीनी हवाई सीमा में पहुंचा भारतीय ड्रोन, हुआ हादसे का शिकार क्या हैं चुनौतियां?
दरअसल भारत-चीन सीमा पर कई ऊंचाई वाले क्षेत्र हैं। यहां पर हवा का रुख बहुत तेज होता है। ऐसे में इस चुनौती से निपटला डेवलपर के लिए बहुत अहम है। इस ड्रोन के शामिल होने के बाद सुरक्षाबलों की ताकत में इजाफा होगा।
दरअसल भारत-चीन सीमा पर कई ऊंचाई वाले क्षेत्र हैं। यहां पर हवा का रुख बहुत तेज होता है। ऐसे में इस चुनौती से निपटला डेवलपर के लिए बहुत अहम है। इस ड्रोन के शामिल होने के बाद सुरक्षाबलों की ताकत में इजाफा होगा।
सीमा पर घुसपैठ की साजिश को नाकाम करने के लिए 600 ड्रोन करेंगे निगरानी
वहीं दूसरी ओर सरकार 950 करोड़ रुपये में 600 ड्रोन खरीद रही है। भारतीय सेना इन ड्रोनों की मदद से सीमा और एलओसी पर निगरानी करेगी। रिपोर्ट के मुताबिक बढ़ती घुसपैठ को लेकर सरकार ने इन ड्रोन्स को खरीदने की योजना बनाई है। वहीं कश्मीर घाटी में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाने वाली सेना की राष्ट्रीय राइफल्स भी इसका इस्तेमाल करेगी। ये दोनों प्रोजेक्ट अलग-अलग हैं।
वहीं दूसरी ओर सरकार 950 करोड़ रुपये में 600 ड्रोन खरीद रही है। भारतीय सेना इन ड्रोनों की मदद से सीमा और एलओसी पर निगरानी करेगी। रिपोर्ट के मुताबिक बढ़ती घुसपैठ को लेकर सरकार ने इन ड्रोन्स को खरीदने की योजना बनाई है। वहीं कश्मीर घाटी में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाने वाली सेना की राष्ट्रीय राइफल्स भी इसका इस्तेमाल करेगी। ये दोनों प्रोजेक्ट अलग-अलग हैं।