जानकारी के मुताबिक, सेना रॉकेट्स और मिसाइल्स से लेकर हाई-कैलिबर वाले टैंक और आर्टिलरी शेल्स का जखीरा भी खड़ा कर रही है। ये सारी तैयारियां इस तरह से की जा रही हैं ताकि 10 दिन तक चलने वाले किसी भयानक युद्ध के लिए सप्लाई पूरी रहे। आगे चलकर इस लक्ष्य को 40 दिन किया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय सेना ने यह तैयारी चीन और पाकिस्तान को ध्यान में रख कर शुरू किया है। रिपोर्ट्स की मानें तो सेना के लिए अलग-अलग हथियार ’10 (I) स्तर’ तक पहुंचाए जाएंगे जिसका मतलब है कि 10 दिन तक चलने वाले घनघोर युद्ध के लिए जरूरी स्टॉक का होना। यह तैयारी खासकर पश्चिमी सीमा के लिए है। लेकिन हथियारों का रिजर्व पाकिस्तान और चीन, दोनों को ध्यान में रखकर खड़ा करना होगा। यहां आपको बता दें कि पहले जो जरूरी सामान कम पड़ते थे, उन्हें पूरा कर लिया गया है और करीब 12,890 करोड़ रुपए के 24 और कॉन्ट्रैक्ट अभी पाइपलाइन में हैं। इनमें से 19 विदेशी कंपनियों के साथ किए गए समझौते हैं। बताया जा रहा है कि यह तैयारी फिलहाल किसी युद्ध के लिए के नहीं बल्कि 2022-23 तक सेना को मजबूत करने के लिए किया जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स में आगे कहा गया है कि भारतीय सेना का अगला टार्गेट 40 (I) स्तर होगा। हालांकि, इसे लेकर काफी सोच-विचार किया जाएगा क्योंकि हर तरह के हथियारों की भारी संख्या में जरूरत नहीं होती और इतने बड़े रिजर्व को बनाए रखना लागत या सहूलियत के लिहाज से भी ठीक नहीं होता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंत्रालय का यह भी विचार है कि 2022-23 के बाद 10 साल तक घरेलू प्राइवेट सेक्टर को विदेशी कंपनियों के साथ मिलकर 8 अलग-अलग तरह के टैंक, आर्टिलरी और इन्फैन्ट्री हथियार बनाने में सक्षम बनाया जाए जिनकी कीमत 1,700 करोड़ रुपये सालाना आंकी गई है। दरअसल, सरकार और सेना की इतनी बड़ी कवायद उड़ी हमले के बाद से शुरू हुई है। अब देखना यह है कि रक्षा मंत्रालय सेना को मजबूत करने के लिए और क्या प्लान कर रही है?