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भारी बर्फबारी के बीच सेना के जवानों ने गर्भवती महिला को पहुंचाया अस्पताल, दिया जुड़वां बच्चियों को जन्म

गुलशना बेगम ने सेना के जवानों का शुक्रिया अदा किया है और जवानों को मसीहा बताया है।

Feb 12, 2019 / 07:16 pm

Kapil Tiwari

Indian Army

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में एनकाउंटर के दौरान भारतीय सेना को पत्थरबाजी का सामना अक्सर करना पड़ता है और ये पत्थरबाज कोई और नहीं बल्कि स्थानीय लोग ही होते हैं, लेकिन इन सबके बावजूद भी सेना कश्मीर के लोगों के लिए प्रेम और भाईचारे की भावना रखती है और सेना ने इसका एक उदाहरण भी पेश किया है।

सेना के जवानों ने गर्भवती को पहुंचाया अस्पताल

दरअसल, मामला उत्तरी-कश्मीर के बांदीपोरा का है, जहां बीते शनिवार को सेना के जवानों ने एक गर्भवती महिला को सही समय पर खराब मौसम से रेस्क्यू किया और अस्पताल पहुंचाया। इस दौरान महिला दर्द से पीड़ित थी। सेना के जवानों ने ना सिर्फ महिला को खराब मौसम के बीच बर्फबारी से निकाला, बल्कि सही समय पर उसे अस्पताल भी पहुंचाया। इस दौरान सेना के चार जवानों ने चारपाई पर महिला को लिटाकर अस्पताल पहुंचाया, जहां महिला ने जुड़वां बच्चियों को जन्म दिया।

माइनस 7 डिग्री तापमान में बर्फबारी भी थी मुसीबत

इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए सेना के एक अधिकारी ने बताया कि बांदीपोरा के एक गांव में भारी बर्फबारी हो रही थी। इस इलाके में तापमान -7 डिग्री तक चला गया था। खराब मौसम के बीच ही गुलशना नाम की महिला को लेबर पेन शुरू हुआ, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना बहुत जरुरी था। आने-जाने के रास्ते भी पूरी तरह से बंद थे।

 

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राष्ट्रीय राइफल्स के जवानों ने बचाई महिला और नवजात बच्चियों की जान

तभी बांदीपोरा राष्ट्रीय राइफल्स के जवानों ने हिम्मत दिखाई और वो भारी बर्फबारी के बीच गर्भवती महिला के घर तक पहुंचे। यहां से सेना के जवान उस महिला को स्ट्रेचर पर करीब ढाई किमी बर्फ से ढके रास्ते पर पैदल लेकर चले। यहां से पीड़िता को आर्मी एंबुलेंस के जरिए जिला अस्पताल पहुंचाया। जिला अस्पताल में जांच के बाद बताया गया कि महिला जुड़वां बच्चों के साथ गर्भवती है और उसे सिजेरियन की आवश्यकता थी। इसके लिए उसे श्रीनगर अस्पताल के लिए रेफर किया गया। यहां पीड़िता ने सुरक्षित जुड़वां बच्चियों को जन्म दिया।’ सेना की इस हिम्मत भरे काम की चर्चा पाकिस्तान में भी हो रही है। पाकिस्तानी मीडिया ने भी भारतीय सेना की तारीफ करते हुए इस खबर को छापा है।
गुलशना के पति ने मांगी थी सेना से मदद

जानकारी के मुताबिक, गुलशना के दर्द को देखते हुए तुरंत उनके पति ने सेना की मदद मांगी और उन्होंने गांव से करीब पांच किलोमीटर दूर स्थित सैन्य शिविर का नंबर मिलाया। फोन पर गुलशना की बात सेना के एक अधिकारी से हुई। गुलशना के पति ने भर्राये गले से बोला कि अगर मेरी पत्नी यूं ही घर में तड़पती रही तो सिर्फ वही नहीं उसके पेट में पल रहा शिशु भी मर जाएगा। फोन सुनने वाले अधिकारी ने उसे दिलासा देते हुए कहा कि बस कुछ और देर इंतजार करो, तुम्हारे पास पहुंच रहे हैं।

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