एम 4 ए 1 कार्बाइन आधुनिक तकनीक से लैस लेजर गाइडेड कार्बाइन है। यह रात के अंधेरे में भी 600 मीटर दूर तक मौजूद लक्ष्य को नेस्तनाबूद कर सकती है। यह कार्बाइन 700 से 950 राउंड गोलियां हर मिनट बरसा सकती है। एम 4 बायोनेट 1944 में आई थी, इसे एम 1 कार्बाइन के साथ इस्तेमाल किया जाता है। इसे एम 3 नाम के लड़ाकू चाकू के साथ बनाया गया था। इसमें 6.75 इंच का बायोनेट स्टाइल पॉइंट ब्लेड लगा होता है, साथ ही एक साढ़े तीन इंच का दूसरा ब्लेड एज भी लगा होता है। यह ब्लेड कार्बन स्टील की बनी होती है। इसमें एक लेदर हैंडल लगा होता है, जिससे इसे पकड़ना आसान होता है।
घने जंगलों में होने वाली झड़प में यह कार्बाइन संकट मोचक संजीवनी की तरह है। दृश्यता काफी कम होने के चलते अक्सर ऐसे इलाकों में सुरक्षाबलों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में लेजर गाइडेड कार्बाइन जवानों के लिए एक मजबूत साथी की तरह होगी। ऐसे ही हालातों में नक्सलियों से लड़ने वाले सुरक्षाबलों के लिए भी यह बेहद काम का हथियार है, क्योंकि अबूझमाड़ जैसे इलाकों में स्थानीय नक्सलियों को वहां की परिस्थितियों की जानकारी जवानों के मुकाबले ज्यादा होती है। ऐसे में लेजर गाइडेड कार्बाइन से वे कम दृश्यता वाले इलाकों में भी मजबूती से मुकाबला कर सकते हैं।