सेना के सूत्रों के अनुसार उसने असाल्ट रायफल बनाने वाली इच्छुक कंपनियों से जानकारी देने का अनुरोध किया है। ये रायफलें मेक इन इंडिया श्रेणी के तहत खरीदी जाएंगी। अभी तीनों सेनाओं को लगभग साढे आठ लाख असाल्ट रायफलों की जरूरत है। इनमें से लगभग सात लाख की जरूरत अकेले सेना को है जो 1970 के दशक से चली आ रही इंसास रायफलों को बदलना चाहती है।
साथ ही 6 हजार स्नाइपर रायफलों के लिए भी जानकारी पत्र दोबारा मांगे गए हैं। यह कदम ज्यादा से ज्यादा कंपनियों को इस प्रक्रिया में शामिल करने और छूटी हुई कंपनियों को एक मौका देने के लिए उठाया गया है।
टेंडर भरने के लिए 4 सप्ताह का समय
विक्रेताओं को चार सप्ताह में यह जानकारी देनी होगी क्योंकि सेना मार्च के अंत में इस सौदे से संबंधित अनुरोध प्रस्तावों को मांगने की योजना बना रही है।
असाल्ट रायफलों के सौदे में आयुध फैक्ट्रियों को लगभग पौने दो लाख रायफलों की आपूर्ति करनी है जिसके लिए जानकारी पत्र के बजाय सीधे टेंडर की जरूरत होगी। सरकार सेना को दो मोर्चों पर एक साथ अभियान चलाने में सक्षम बनाने के लिए सुनियोजित तरीके से उन्हें आधुनिक हथियारों से लैस करने में लगी है।