बांग्लादेश 136वें और पाकिस्तान 150वें स्थान पर दक्षिण एशिया की बात करें तो भारत का एचडीआई क्षेत्र के औसत एचडीआई 0.638 से थोड़ा ऊपर है। उल्लेखनीय है कि इस रैंकिंग में बांग्लादेश 136वें और पाकिस्तान 150 स्थान पर है। इस रैंकिंग में 59 देश उच्च और 38 देश निम्न विकास की श्रेणी में हैं, जबकि 2010 में ये आंकड़े क्रमशः 46 और 49 थे। यूएनडीपी के अधिकारी अकिम स्टेनर के मुताबिक, ‘एचडीआई के मामले में निम्न श्रेणी वाले देशों में जीवन प्रत्याशा करीब 60 साल होती है, जबकि उच्च श्रेणी में यह आंकड़ा लगभग 80 साल तक है।’
1990 से 2017 में ऐसे बदला देश – जीवन प्रत्याशा में करीब 11 साल का इजाफा हुआ है।
– बच्चों के स्कूल में बिताए जाने वाले समय में 4.7 साल की बढ़ोतरी हुई।
– प्रतिव्यक्ति आय में लगभग 266.6 फीसदी का इजाफा हुआ।
असमानता सबसे बड़ी चुनौती इस रिपोर्ट के मुताबिक असमानता के चलते भारत को एचडीआई में 26.8 फीसदी की गिरावट झेलनी पड़ी है जो बड़ा झटका है। दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों के औसत 26.1 फीसदी से यह बेहद ज्यादा है। इससे पता चलता है कि भारत की आर्थिक प्रगति के लिए असमानता अभी सबसे बड़ी चुनौतियों में शुमार है। महिलाओं के खिलाफ अपराध, बाल विवाह और संसद में महिलाओं का अल्प प्रतिनिधित्व भी बड़ी चुनौतियां हैं।
महिलाओं का कमजोर होना बड़ी चुनौती – संसदीय सीटों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व केवल 11.6 फीसदी है।
– 39 फीसदी महिलाएं ही माध्यमिक स्तर तक शिक्षा हासिल कर पाती हैं, जबकि पुरुषों में यह आंकड़ा 64 फीसदी का है।
– श्रम से जुड़े कार्यों में महिलाओं की भागीदारी महज 27.2 फीसदी है जबकि पुरुषों की भागीदारी 78.8 फीसदी है।
– लैंगिक असमानता सूचकांक में 160 देशों में भारत 127वें नंबर पर है।