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हाथियों की जान ले रही है भारतीय रेल, मधुमक्खी लेगी जान बचाने का कॉन्ट्रेक्ट

Published: Nov 26, 2017 05:37:51 pm

Submitted by:

राहुल

रेलवे की नॉर्थईस्ट इकाई यानि नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवे हाथियों को बचाने के लिए एक खास तरह के उपाय को इस्तेमाल में लाने जा रहा है।

assam
नई दिल्ली। देश में हाथियों की क्या स्थिती है इसके बारे में कुछ बोलने की ज़रुरत नहीं है। हो सकता है कि आपको गजराज के नाम से पहचान रखने वाले हाथियों की असली तस्वीर के बारे में पता न हो। लेकिन हमारी ये स्टोरी देश में हाथियों की असली परिस्थिती को बड़े ही दर्द के साथ दिखा देगा। हाथी अपने भारी-भरकम शरीर के लिए जाना जाता है। दुनियाभर में ज़्यादातर हाथी हमारे अच्छे दोस्त भी होते हैं। लेकिन हाथी की इस दोस्ती के लिए हम कर क्या रहे हैं, आगे आपको सब मालूम पड़ जाएगा।
भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम में इस वक्त हाथियों की स्थिती काफी खराब है। विशालकाय जीव को घूमने-फिरने के लिए एक बड़ी जगह की ज़रुरत होती है जो उन्हें मिल नहीं पा रही है। जिसकी वजह से वे मारे जा रहे हैं। दरअसल असम में ट्रेनों की चपेट में आने से अब तक न जाने कितने गजराज मारे जा चुके हैं। हालांकि हमारी रेलवे ने बहुत कोशिशें की ताकि हाथी ट्रेन की चपेट में न आए। लेकिन अफसोस सभी कोशिशों के बावजूद हम हाथियों को बचा पाने में पूरी तरह से फेल हो रहे हैं। रेलवे की नॉर्थईस्ट इकाई यानि नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवे हाथियों को बचाने के लिए एक खास तरह के उपाय को इस्तेमाल में लाने जा रहा है। रेलवे अब नया प्लान लाने जा रहा है जिसका नाम ‘प्लान बी’ (Plan Bee) है।
इस प्लान का खास मकसद ये होगा कि हाथियों को किसी भी तरह से रेलवे ट्रैक से दूर रखा जाए ताकि वो तेज़ रफ्तार से आने वाली ट्रेनों से न टकराएं। Plan Bee के तहत NFR रेलवे ट्रैक्स के पास ऐसी मशीनें लगाएगा जो ट्रेन आने पर मधुमक्खियों जैसी आवाजें निकालने लगेगी। मधुमक्खियों जैसी इन आवाजों को सुनकर हाथी रेलवे ट्रेक्स के पास नहीं जाएंगे, जिससे उनकी जान बच जाएगी। कहा जाता है कि हाथी मधुमक्खियों की आवाज़ से बहुत चिढ़ते हैं और ये उनके पास जाना भी नहीं चाहते। सिर्फ 2016 में ही ट्रेन की चपेट में आने से 16 हाथियों की मौत हो चुकी है। रेलवे इस उपाय से पूरी उम्मीद लगाए बैठा है कि इस बार ये प्लान सफल हो ही जाएगा।
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