एक यूजर ने बिलाल मोटरवाला ने लिखा कि अगर ये नारी सशक्तिकरण है, तो आपको शर्म आनी चाहिए कि देश की बेटियां, माएं और बहनें पेट भरने के लिए ये काम कर रही हैं। अपनी सीनियर ऑफिसर्स से पूछें कि क्या वो अपनी मां, बेटी या फिर बहन को ये काम करने देंगे?
वहीं, यूजर दीपिका नारायण भारद्वाज ने लिखा कि देश के कोने-कोने में ना जाने कितनी औरतें अपना घर चलाने के लिए प्रॉस्टिट्यूट बन जाती हैं। तब किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। ऐसे में मेहनत से पेट पालने वाली महिलाओं के काम की तो रिस्पेक्ट होनी चाहिए।
यूजर इंतेखाब आलम का कहना है कि इन महिलाओं को कुछ और काम देना चाहिए इंडियन रेलवे को। अब आप अपनी राय भी रखें। जहां एक ओर लोगों का मानना है कि यह नारी सशक्तिकरण नहीं है, वहीं दूसरा धड़ा इसे नारी का सशक्त होना बता रहा है। आपकी राय क्या है?
कुछ अन्य यूजर्स का कहना है कि हार्ड वर्क करना कम से कम भीख मांगने से तो बेहतर है। ऐसी महिलाएं इंस्पायर करती हैं। गौरतलब है कि भारतीय रेवले इन दिनों महिलाओं के कामों को लगातार सराह रही है। साथ ही ट्विटर भी लगातार तस्वीरें भी शेयर कर रही है। नीचे देखिए, भारतीय रेलवे द्वारा नारी सशक्तिकरण की शेयर की गईं कुछ तस्वीरें।