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इंदिरा गांधी के जीवन से जुड़े 4 ऐसे फैसले, जिन्होंने बदल दिया “भारत का भाग्य”

Published: Sep 30, 2020 01:31:37 pm

अपने पिता जवाहरलाल नेहरू की देखादेखी इंदिरा बचपन से ही भारतीय स्वाधीनता संग्राम से जुड़ गई थी।इंदिरा गांधी के विवाह को नहीं मिली थी उस समय सामाजिक मान्यताअमरीका की योजना पर पानी फेर कर बुरी तरह हराया पाकिस्तान को, किया बांग्लादेश का निर्माण

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इंदिरा गांधी का नाम भारत के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाता है। उनका नाम न केवल भारत वरन दुनिया की सबसे चर्चित तथा प्रभावशाली महिला राजनीतिज्ञों में शामिल किया जाता है। अपने बालपन से ही भारत के स्वाधीनता संग्राम से जुड़ने वाली इंदिरा गांधी ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में देश को आत्मनिर्भर तथा अंतरराष्ट्रीय दुनिया के सामने एक मजबूत राष्ट्र के रूप में उभारा। 1971 में पाकिस्तान को बुरी तरह से हरा कर उन्होंने विश्व के सामने अपने कुशल नेतृत्व की मिसाल दी। आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ अनकही बातें-

बचपन में कांग्रेस की वानर सेना में हुई थी शामिल
जब इंदिरा गांधी मात्र 12 वर्ष की थी तभी वह भारत के स्वाधीनता संग्राम से जुड़ गई थी। वह वानर सेना से जुड़ी हुई थी। महात्मा गांधी के विदेशी सामान के बहिष्कार से प्रेरित होकर नन्ही इंदिरा ने बचपन में अपनी सबसे प्यारी गुड़िया को आग में केवल इसलिए जला दिया था कि वह ब्रिटेन में बनी हुई थी। उनकी देखादेखी दूसरे भारतीयों ने भी अपने बच्चों को वानर सेना में शामिल होने के लिए अनुमति दे दी।

उनकी शादी को नहीं मिली थी सामाजिक मान्यता
इंदिरा गांधी के पति फिरोज एक पारसी थी जबकि इंदिरा एक उच्चकुलीन ब्राह्मण कन्या था। तत्कालीन भारत में अन्तरजातीय अथवा अंतरधार्मिक विवाहों को मान्यता नहीं दी जाती थी। यहां तक कि पण्डित जवाहरलाल नेहरू भी इस विवाह के विरुद्ध थे। उन्हें मनाने के लिए महात्मा गांधी ने खुद जिम्मा लिया और अंततः उन्हें मना ही लिया। इसके बाद दोनों का विवाह हुआ। उनके विवाह को सामाजिक मान्यता दिलाने के लिए महात्मा गांधी को सार्वजनिक बयान देकर जनता से आग्रह करना पड़ा। उनके इस विवाह ने देश के बहुत से युवाओं को धर्म, जाति और गौत्र के नियमों को परे रखकर विवाह करने के लिए प्रेरित किया।

अमरीकी राष्ट्रपति की योजना को कर दिया था विफल
भारत की प्रधानमंत्री के रुप में इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश का निर्माण करवाया जिसके कारण अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति निक्सन हेनरी किसिंजर उनसे नाराज थे। यहां तक कि उन्होंने भारत के विरूद्ध पाकिस्तान की सहायता करने का निर्णय लिया परन्तु पाकिस्तानी सेना द्वारा हथियार डाल दिए जाने पर उन्हें अपनी योजना को ऐन मौके पर ड्रॉप करना पड़ा और भारत की ऐतिहासिक जीत हुई।

छीन लिए थे राजाओं के विशेष अधिकार
स्वतंत्र भारत में राजाओं को आजादी से पहले के सभी विशेषाधिकार दिए गए थे परन्तु इंदिरा गांधी ने बिल पारित कर राजाओं के इन सभी विशेषाधिकारों को समाप्त करते हुए उनमें तथा आम जनता के बीच का भेद समाप्त कर दिया। इसका उस समय बहुत विरोध किया गया परन्तु अंतत: राजाओं को आत्मसमर्पण करना पड़ा।

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