दरअसल, निर्भया के साथ जिस बस में बर्बरता हुई वह किसी दिनेश यादव नाम के शख्स की थी। वह बस दिनेश को कभी वापस तो नहीं मिली, लेकिन उस रात के बाद बस भी सड़कों पर नहीं चली। आज सात साल बाद उस बस को देखने पर ऐसा लगता है मानो आज भी वह उसी हालत में है जैसे उस दिन था। किसी कूड़े करकट की तरह पड़ी बस के अंदर लगे ओडोमीटर में 2,26,784 किलोमीटर तक की यात्रा दिख रही है। इसके आखिरी अंक उसी दौरान के हैं जब बस लगातार चल रही होगी।
निर्भया के बयान के मुताबिक जिन सीटों पर उसके साथ इतने विभत्स वारदात को अंजाम दिया गया उन्हें देखकर तो किसी की भी रूह कांप जाए। पीछे से दूसरी नंबर सीट आज भी आधे बिस्तर वाली स्थिति में पड़ी हुई है। यह सीट निर्भया के उस बयान की पुष्टि करती है जिसमें उसने पुलिस को बताया था कि एक ओर उसके दोस्त को पीटा जा रहा था, वहीं उसे बस की पीछे वाली सीट पर ले जाकर दरिंदे उसे नोच रहे थे। सीट पर लगे गद्दे या तो हटा लिए गए हैं या उन्हें कीड़े खा गए हैं। अब बस की किसी खिड़की में शीशा भी नहीं है। लगभग डेढ़ साल पहले तक इसे साकेत कोर्ट परिसर में पार्क कर सुरक्षित रखा गया था।
यहां आपको बता दें कि पुलिस ने इसे बड़े ही गुपचुप तरीके से सुरक्षित रखने की योजना बनाई। पुलिस ने गुप्त तरीके से इस बस को त्यागराज स्टेडियम के बाहर खड़ी बहुत सी बसों के बीच ले जाकर खड़ा कर दिया था ताकि किसी को भी शक न हो। इतना ही नहीं सुरक्षा के मद्देनजर सादे कपड़ों में सुरक्षाकर्मी भी तैनात कर दिए गए थे। आज बस की हालत बेहद दयनीय हो गई है।